अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ ही तालिबान 2.0 की सुगबुगाहट शुरु हो चुकी है। तालिबान की तरफ से बयान दिए जा रहे हैं कि इस बार वे महिलाओं के अधिकारों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाएंगे। इसके अलावा तालिबानियों ने अफगानियों की सुरक्षा का भरोसा भी दिलाया। हालांकि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हालात कुछ और कहानी कह रहे हैं।
अमेरिका का सबसे खूंखार आतंकवादी हाल ही में काबुल में नजर आया है। खलील अल-रहमान हक्कानी के सिर पर अमेरिका ने 5 मिलियन डॉलर्स यानी लगभग 37 करोड़ डॉलर्स का इनाम रखा है। ये इनाम हक्कानी के अलकायदा के आतंकी ऑपरेशन्स में शामिल होने के लिए रखा गया है। बता दें कि हक्कानी के अल-कायदा के साथ गहरे संबंध हैं।
हक्कानी को काबुल की Pul-i Khishti मस्जिद के बाहर लोगों से मुखातिब होते देखा गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, हक्कानी की मौजूदगी से अफगानिस्तान में रह रहे लोगों को संदेश जाएगा कि तालिबानी सरकार अपने दावों से मुकर रही है और इस बार भी तालिबान राज कट्टरपंथ और सख्त शरीया कानूनों के सहारे चलने वाला है।
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गौरतलब है कि अफगान तालिबान और अलकायदा दोनों के साथ संबद्ध उग्रवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क को घातक विद्रोही समूह माना जाता रहा है। हक्कानी नेटवर्क में खलील अल-रहमान हक्कानी एक बेहद महत्वपूर्ण शख्सियत है। ये नेटवर्क अफगानिस्तान की फोर्स और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए जाना जाता है। खलील का भतीजा सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क का लीडर है। अमेरिकी विदेशी विभाग की नजर में सिराजुद्दीन भी एक वैश्विक आतंकी है। सिराजुद्दीन के सर पर 10 मिलियन डॉलर्स का इनाम है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हक्कानी नेटवर्क के कद्दावर नेताओं की मौजूदगी साफ करती है कि इस बार भी अफगानिस्तान में तालिबान राज भयावह होने जा रहा है।
खलील और सिराजुद्दीन हक्कानी के अलावा तालिबान का सीनियर चीफ मुल्ला अब्दुल घनी बरादर भी कुछ समय पहले अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में दिखाई दिया था। इन आतंकियों के काबुल में आने के साथ ही ये सुगबुगाहटें शुरु हो गई हैं कि अफगानिस्तान में एक बार फिर अल-कायदा अपना दबदबा कायम कर सकता है। गौरतलब है कि तालिबान के लीडर्स ने पिछले साल कहा था कि वे अलकायदा या दूसरे किसी भी संगठन को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अमेरिका या किसी भी दूसरे देश में आतंक फैलाने के लिए नहीं करने देंगे। तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यही बात दोहराई थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हक्कानी नेटवर्क के एक्टिव होने के साथ ही कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान में एक बार फिक ग्लोबल आतंकवाद अपना सर उठा सकता है। इससे पहले रॉयटर्स के साथ बातचीत में एक तालिबानी ने कहा था कि हो सकता है कि पश्चिमी देशों के हिसाब से अफगानिस्तान में लोकतंत्र ना हो लेकिन हम सबके अधिकारों की सुरक्षा करेंगे।