Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

कोरोनाकाल में समझदार ग्राहक बैंकों के लिए दोहरी वर्तमान चुनौती

EMI

ईएमआई

नई दिल्ली| कोरोना महामारी के साथ समझदार ग्राहक बैंकों के लिए दोहरी चुनौती वर्तमान में पैदा कर रहे हैं। दरअसल, बैंकों के सामने यह मुसीबत लोगों द्वारा बचत बढ़ाने और कम कर्ज लेने से पैदा हुई है। बैंकों में जमा बढ़ने से ऋण-जमा अनुपात गिरकर सितंबर महीने में 71.8% पर पहुंच गया।

ऋण-जमा अनुपात का मतलब होता है कि कोई बैंक अपनी मौजूदा जमा राशि पर कितना कर्ज दिया है। वहीं, बैंकों को अपनी जमा पर कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) का अनुपात बनाए रखना होता है। इसके साथ ही एसएलआर का अनुपात भी बनाए रखना होता है।

सनराइजर्स हैदराबाद के डेविड वॉर्नर ने शेयर की पत्नी कैंडिस की फिटनेस पोस्ट

बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगाड़ने में कोरोना महामारी की अहम भूमिका रही है। कोरोना और लॉकडाउन के कारण 27 मार्च महीने से लेकर 11 सितंबर तक बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में 1.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसके चलते बैंकों का कुल कर्ज गिरकर 102.3 खरब रुपये रह गया। वहीं, इस दौरान बैंक जमा पांच फीसदी (6.8 अरख रुपये) बढ़कर 142. अरख रुपये पहुंच गया। इससे बैंकों की कमाई कम और बोझ बढ़ गया है।

कोरोना महामारी के चलते आरबीआई ने ब्याज दरों में बड़ी कटौती की थी। इसके बाद बैंकों ने बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज में बड़ी कटौती की थी। इस का काट ढूढ़ते हुए समझदार ग्राहकों ने एफडी में निवेश बढ़ाया और बचत खाते से पैसे निकाले हैं। इसके चलते बैंकों के एफडी में निवेश बढ़कर 7.8 खरब रुपये पहुंच गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक जमा में बढ़ोतरी की वजह आर्थिक अनिश्चता है। लोग अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं। इससे वह कर्ज लेने से कतरा रहे हैं। वह सिर्फ जरूरी चीजों पर खर्च कर रहे हैं और बचत के पैसे को एफडी (सावधि जमा) में निवेश कर रहे हैं।

Exit mobile version