लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र (Durga Shankar Mishra) ने बुधवार को एक दिवसीय सतत जल प्रबंधन सम्मेलन का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य सचिव मिश्र ने कहा कि सतत जल प्रबंधन समय की मांग है। पानी की मांग और आपूर्ति पक्ष पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रदेश सरकार पानी की खपत के प्रबंधन के लिए डुअल पाइपिंग की शुरुआत की है, एक पाइप से स्वच्छ जल की आपूर्ति तथा दूसरे पाइप से शोधित (ट्रीटमेंट) जल की आपूर्ति की जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है और कृषि के लिए 84 प्रतिशत जल का उपयोग किया जाता है। जल संरक्षित करने से पहले कृषि पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए देश में प्रधानमंत्री जी ने ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ अभियान शुरू किया था। पानी की हर बूंद से फसल की पैदावार कर सकें तभी जल संरक्षित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश बदल रहा है और यह बदलाव स्थिरता के मॉडल के आधार पर हो रहा है। हर एक क्षेत्र में नवाचार किया जा रहा है। प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए 24 गुणे 7 उच्च गुणवत्तायुक्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु सभी 75 जिलों में ड्रिंक फ्रॉम टैप योजना की शुरुआत की गई है। वाराणसी, आगरा, अयोध्या, लखनऊ में यह योजना अन्तिम चरण पर है। प्रदेश में पानी का दुरुपयोग सबसे ज्यादा शहरी क्षेत्र में होता है, इसे रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए।
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मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले पांच सालों में भूगर्भ जल के संरक्षण की दिशा में बेहतर काम किया गया है, इस कार्य को बढ़ाने की जरूरत है। पानी की बूंद-बूंद की कीमत को हमें समझना होगा। भूगर्भ जल के साथ वर्षा की हर एक बूंद को संरक्षित किया जाए। प्रदेश में जल संरक्षण के उद्देश्य से अमृत सरोवर बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है।
कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात, आयुक्त ग्राम्य विकास जीएस प्रियदर्शी, प्रबंध निदेशक जल निगम (ग्रामीण) बलकार सिंह, विशेष सचिव नगर विकास अमित कुमार सिंह, भूगर्भ जल विभाग के निदेशक वीके उपाध्याय, नगर आयुक्त लखनऊ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण आदि मौजूद थे।