कोलकाता| आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) सही दिशा में उठाया गया कदम है क्योंकि इससे किसानों की आय बढ़ेगी, लेकिन इससे ग्रामीण गरीबी भी बढ़ सकती है और जन वितरण प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने बुधवार को यह कहा। संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कर दिया है। इसके तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तु की सूची से हटा दिया गया है।
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यह विधेयक जून में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। विधेयक में उठाए गए कदम का मकसद निजी निवेशकों के बीच उनके कारोबार में अत्यधिक नियामकीय हस्तक्षेप की आशंकाओं को दूर करना है। अर्थशास्त्री ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”ईसीए से किसानों की आय बढ़ेगी क्योंकि वे अपनी उपज कहीं भी बेचने को स्वतंत्र होंगे।
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उन्होंने कहा कि लेकिन अगर बड़े पैमाने पर थोक खरीद या जमाखोरी के कारण जरूरी जिंसों के दाम बढ़ते हैं, तो इसका दो प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकता है। अर्थशास्त्री ने कहा, ”पहला ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर बढ़ेगी। परिणामस्वरूप गरीबी बढ़ेगी। दूसरा, सरकार के लिये राशन की दुकानों के लिये खरीद की लागत बढ़ेगी।