वर्ष 2020-21 के लिए देश का इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश कर दिया है। इस सर्वेक्षण से कोरोना संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर सामने आ गई है। सर्वे में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी माइनस 7.7 फीसदी होगी यानी इसमें 7.7 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
सर्वे में कहा गया है कि अगले साल देश की अर्थव्यवस्था में अच्छा सुधार होगा। अगले वित्त वर्ष (2021-22) में 11 फीसदी की ग्रोथ होने का अनुमान है। सर्वे में कहा गया है कि कोरोना महामारी और हफ्तों तक जारी लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।
इकोनॉमी की हालत खराब
गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में देश की आर्थिक हालत खस्ता रही है। तमाम रेटिंग एजेंसियों ने यह अनुमान जाहिर किया है कि इस साल जीडीपी में 10 फीसदी के आसपास गिरावट आ सकती है। इस साल की पहली तिमाही में करीब 24 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। दो तिमाहियों में गिरावट का आंकड़ा जारी हो चुका है, तीसरी तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट होने की ही आशंका है। ऐसे में सबकी नजर इस आर्थिक सर्वे पर थी
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क्या होता है आर्थिक सर्वे?
आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है। इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता है कि साल के दौरान आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा। इसके अलावा सर्वे से ये भी जानकारी मिलती है कि आने वाले समय के लिए अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं।
आसान भाषा में समझें तो वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है। अकसर, आर्थिक सर्वे के जरिए सरकार को अहम सुझाव दिए जाते हैं। हालांकि, इसकी सिफारिशें सरकार लागू करे, यह अनिवार्य नहीं होता है।
आर्थिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की टीम तैयार करती है। इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की अगुवाई में आर्थिक सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है। वित्त मंत्रालय के इस अहम दस्तावेज को सदन में वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है।