चेन्नई। DMK नेता और तमिलनाडु के बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी (Senthil Balaji) के ठिकानों पर ED की छापेमारी के एक दिन बाद बुधवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ईडी की कार्रवाई के दौरान सेंथिल बालाजी ने सीने में दर्द की शिकायत की। इसके बाद उन्हें ओमंदुरार के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। छापा तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में स्थित सेंथिल के घर के अलावा उनके पैतृक निवास करूर में भी मारा गया है।
जांच एजेंसी ने जिस समय सेंथिल बालाजी (Senthil Balaji) के ठिकानों पर छापा मारा। उस समय वह मॉर्निंग वॉक पर निकले हुए थे। जैसे ही उन्हें छापेमारी की सूचना मिली, वह टैक्सी लेकर घर लौट आए।
सेंथिल की गिरफ्तारी के बाद डीएमके एक्टिव हो गई है। पार्टी ने उनकी गिरफ्तार को असंवैधानिक बताते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है। डीएमके ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनकी पार्टी भाजपा की डराने-धमकाने की राजनीति से नहीं डरती है।
आयकर विभाग ने भी मारा था छापा
इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने घर पर वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक बुलाई है। इस मुद्दे पर स्टालिन कानून टीम के साथ भी बैठक करने वाले हैं। सेंथिल की गिरफ्तारी के बाद राज्यसभा सांसद एनआर एलंगो का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि सेंथिल को ईडी ले गई है। हमें नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाया जा गया है। बता दें कि कुछ समय पहले ही सेंथिल के ठिकानों पर आयकर विभाग के अधिकारियों ने भी रेड की थी।
सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एक्शन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सेंथिल के खिलाफ कथित कैश-फॉर-जॉब घोटाले की पुलिस और ईडी जांच की अनुमति दी थी। यह मामला 2014 का है, जब सेंथिल अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे। सूत्रों के मुताबिक उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत छापेमारी की जा रही है।
कांग्रेस ने भी दर्ज कराया विरोध
कांग्रेस ने भी सेंथिल के खिलाफ एक्शन का विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्र लिखकर कहा, ‘तमिलनाडु के बिजली मंत्री थिरु वी.सेंथिल बालाजी के कार्यालय में तलाशी के लिए ईडी के घोर दुरुपयोग की कांग्रेस पार्टी निंदा करती है। ये डराने-धमकाने और परेशान करने के लिए मोदी सरकार की बेशर्मी से भरी कोशिशें हैं।
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राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस तरह से खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग मोदी सरकार की पहचान रही है। इस तरह की हरकतें विपक्ष को चुप कराने में कामयाब नहीं होंगी, बल्कि ये मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपने लाकतांत्रिक संघर्ष को जारी रखने के विपक्ष के दृण संकल्प को और मजबूत करती हैं।’