सोमवार की सुबह दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली के अलग अलग इलाकों के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में 10वीं/12वीं क्लास के स्टूडेंट्स से मुलाक़ात करने पहुंचे थे. इस दौरान मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना का एक बुरा दौर सभी ने देखा और अब ज़िंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है.
इसी सिलसिले में बोर्ड परीक्षाओं से पहले 10वीं और 12वीं के लिए स्कूल खुले हैं. स्कूल वीरान थे, अब बच्चे क्लासरूम में लौट रहे हैं. स्कूल के बिल्डिंग, लैब्स इसलिए बने हैं ताकि बच्चे यहां पढ़कर भविष्य में वैज्ञानिक बनें.
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ऑनलाइन क्लास की खामियों के सवाल पर सिसोदिया ने कहा, “ऑनलाइन क्लास से नुकसान को कम किया जा सकता है लेकिन ऑनलाइन क्लास स्कूल की पढ़ाई की जगह नहीं ले सकती है. टीचर्स का छात्रों से आमने सामने बात करने का असर होता है. इसलिए हमारी कोशिश थी कि स्टूडेंट्स क्लास में लौटे और अब जब वैक्सीन भी आ गयी है. हालांकि स्कूल तक पहुंचने में वैक्सीन को समय लगेगा लेकिन प्रोटोकॉल फॉलो करके बच्चों के प्रैक्टिकल करवा दिए तो भरोसा बढ़ने के साथ साथ हालात भी बदलेंगे.
उनसे जब पूछा गया कि 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के खुलने के बाद नर्सरी स्कूल कब खुलेंगे? मनीष सिसोदिया ने जवाब में कहा, “दरअसल, बोर्ड के एग्जाम काफी देरी से होंगे, ऐसे में नर्सरी एडमिशन में भी देरी होगी लेकिन एडमिशन होगा. माता पिता की चिंता जायज है, हम भी डरे हुए थे. चिंतित थे कि अचानक स्कूल खोलें तो क्या होगा. बेहद खुशी है कि स्टूडेंट्स स्कूल आ रहे हैं.
इस बीच सिसोदिया ने एक स्टूडेंट्स से स्कूल आने के बारे में उनके अभिभावक की राय जानी. सिसोदिया ने कहा कि पेरेंट्स और स्टूडेंट्स को स्कूल के सिस्टम पर भरोसा आ रहा है, और इस भरोसे की हमें ज़रूरत थी. बच्चे अबतक घर पर थे, और अचानक इन्हें एग्जाम देने के लिए भेज देंते तो सभी स्टूडेंट्स के साथ अन्याय होता.
दिल्ली में 10वीं और 12वीं बोर्ड के रिजल्ट को बरकरार रखने की चुनौती के सवाल पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस बार स्कूल खोलना सबसे बड़ी चुनौती थी. रिजल्ट को लेकर मेरी तरफ से न स्टूडेंट्स पर और न टीचर्स पर कोई दवाब है.बच्चों का स्कूल आना हमारे लिए एक परीक्षा में पास हो जाना है, फिर आगे के बारे में सोचेंगे.
वहीं, शिक्षा मंत्री के साथ स्कूली बच्चों से मुलाक़ात करने पहुंचे AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 10वीं और 12वीं के मार्क्स पूरे करियर में स्टूडेंट्स के साथ रहेंगे. ऐसे में पेरेंट्स की चिंता प्रैक्टिकल क्लास के लिए ज्यादा है क्योंकि दस साल बाद लोग भूल जाएंगे कि कोरोना की वजह से नंबर कम आए. इसलिए प्रैक्टिकल के मार्क्स बहुत जरूरी होते हैं और स्कूल में ज्यादा बच्चे न होने की वजह से संक्रमण का डर नहीं है.