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 वट सावित्री व्रत पूजा में नहीं रहेगा सूर्य ग्रहण का प्रभाव : आचार्य प्रदीप जी महाराज

pradeep ji acharya

pradeep ji acharya

इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 9 जून सांय 1:57 बजे से 10 जून सांय 4:22 बजे तक है और व्रत का पारायण 11 जून को प्रातः होगा इसलिये ज्योतिष के अनुसार उदया तिथि का मुहूर्त ही मान्य होता है इसलिये इस बार वटपूजन व व्रत 10 जून को किया जायेगा।

उपरोक्त जानकारी राष्ट्रीय कथाब्यास प्रदीपजी महाराज ने दी साथ ही इस बार लोगो मे कई तरह की जो भ्रांति हो रही सूर्यग्रहण को लेकर उसपर भी प्रदीपजी ने बताया ये जो सूर्यग्रहण है भारत मे दिखाई नही देगा  ये कंकणाकृति ग्रहण है जो रूस, मंगोलिया, ग्रीनलैण्ड, यूरोप, कनाडा का उत्तरी पूर्वी और चीन के पश्चिमी भाग मे ही दिखेगा इस कारण भारत मे इसका कोई विचार मान्य नही होगा !

उन्होंने आगे बताया कि वट सावित्रि कथा जैसा कि पौराणिक कथाओ मे प्रचलन है ये वृत महिलाये पति के लम्बी आयु के लिये रखती है जब सत्यवान के प्राण यमराज नरक मे लिये जा रहे थे तब उसकी धर्मपत्नी सावित्री भी उनके साथ इसी अमावस्या के दिन से ही पीछे पीछे चल पडी और बिना कुछ खाये पिये एक वर्ष तक चलती रही जब यमराज ने पीछे मुडकर देखा तो सावित्रि को पीछे पाया तो यमराज ने पूछा देवी तुम कौन और मेरे पीछे पीछे क्यो आ रही हो? नरक मे तो जीव मरने के बाद ही आ सकता तुम सशरीर कैसे?

तब सावित्रि ने अपना परिचय देते हुए कहा महाराज मै दुखियारी इसी (सत्यवान) की पत्नी हू और अगर मेरा पति ही नही रहेगा तो मै जीवित रहकर क्या करूगी। ‘जिय बिनु देह नदी बिनु बारी ! तैसेहि नाथ पुरूष बिनु नारी’ इसलिये आप मेरे पति के साथ मुझे भी मार डालिये। तब यमराज ने कहा, देवी तुम्हारी आयु तो अभी 1000 वर्ष है पर तुम्हारे पति की आयु पूरी हो गयी। इसलिये मै इसे नरक लिये जा रहा हू।

इतना कहकर यमराज पुनः आगे चल पडे। यमराज के पीछे सावित्रि भी चल पडी थोडी दूर जाने के बाद यमराज ने फिर सावित्रि को आते देखा तो आश्चर्यचकित हुए कि जिस यमराज के नाम से सारी दुनिया डरती है पर ये देवी बिलकुल निडर होकर पीछे पीछे आ रही। यमराज समझ गये ये वास्तविक पतिव्रता नारी है तो यमराज उसकी पतिव्रत धर्म से प्रभावित होकर कहने लगे देवी वरदान मांग लो।

सावित्रि ने कहा मेरे पति के प्राण बख्श दो यमराज ने कहा यह संभव नही पर हां ये हो सकता कि तुम्हारी आधी आयु पति के हिस्से मे आ जायेगी। इसलिये जाओ वो जो सामने वट वृक्ष लगा है उसका पूजन और फिर सात परिक्रमा करो। सावित्रि ने वैसा ही किया व्रत पूजन के प्रभाव से यमराज को सत्यवान के प्राण छोडने पडे तब से लेकर आज तक सभी सौभाग्यवती महिलाये बटबृक्ष की पूजा और ब्रत रहती है। जैसा कि पुराणो मे बटबृक्ष का बहुत बडा महत्व है क्योकि इस बृक्ष मे ब्रम्हा, बिष्णु, महेश आदि देवता निवास करते है। साथ ही विज्ञान मे भी बरगद के पेड के महत्व को बताया गया कि यह पीपल के वृक्ष के बाद सर्वाधिक  आक्सीजन देता है।

 

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