गीजा। पिरामिड के नीचे गुफाओं के जाल, चेंबर और टनल हैं। मिस्र के फिरौन के ‘अंडरवर्ल्ड’ की खोज के दौरान यह जाल मिला है। मिस्र के जांचकर्ता ऐंड्रू कॉलिन्स का मानना है कि इसके नीचे ऐसे पुरातत्व संबंधी ऐसे सबूत हैं जिन्हें अभी तक छुआ नहीं गया है। उन्होंने अपनी किताब में दावा किया है कि इन मकबरों के एंट्रेंस 19वीं सदी के राजनयिक और एक्सप्लोरर के लेखओं में मिली है।
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ब्रिटेन के कॉन्सुल जनरल हेनरी सॉल्ट ने याद किया है कि कैसे उन्होंने गीजा में 1817 में इस सिस्टम की जांच की थी उनके साथ इटली के एक्सप्लोरर जियोवानी काविग्लिया भी थे। माना जाता है कि ग्रेट पिरामिड 20 साल में बनाया गया था। अभी भी कई रहस्यों और पहेलियों से घिरी इस इमारत को प्राचीन दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया जाता है। एक ब्रिटिश एक्सप्लोरर के मुताबिक ये मकबरे पिरामिड के नीचे फैले हैं।
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कॉलिन्स ने ब्रिटेन के मिस्र मामलों के जानकार नाइजेल स्किन सिंपसन के साथ सॉल्ट के काम का अध्ययन किया और खोज शुरू की। उन्हें एक चट्टान में दरार दिखी जिसके पीछे एक गुफा थी। उन्होंने दावा किया कि यह नेटवर्क उस अंडरवर्ल्ड का संकेत देता है जिसका मिस्र में मरने के बाद के जीवन के तौर पर जिक्र मिलता है।
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यह लकड़ी का बना ताबूत था। लड़की ने दो छल्लेदार झुमके पहने थे। मिस्र के पर्यटन मंत्रालय का कहना है कि इन पर तांबे की पत्ती चढ़ा होगी। साथ ही हड्डी से बनी अंगूठी है, एक नीले कांच की अंगूठी और चार गले के हार हैं जो एक सेरेमिक क्लिप से जुड़े हुए हैं। ये हार 24-27.5 इंच लंबे हैं और इनमें नीले के अलग-अलग शेड के मोती लगे हैं। इस खोज के डायरेक्टर होजे गेलन का कहना है कि इतने पुराने होने के बावजूद सभी कपड़े सही तरह से प्रिजर्व किए गए थे।