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बिहार विधानसभा चुनाव तारीखों का चुनाव आयोग ने किया ऐलान

बिहार विधानसभा चुनाव Bihar assembly elections

बिहार विधानसभा चुनाव

 

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही आयोग ने मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव की तारीखों का भी ऐलान किया है।

बता दें कि देशभर में फैली कोरोना महामारी की वजह से विपक्षी पार्टियां चुनाव को टालने की बात कह रही थीं। यही नहीं नीतीश सरकार की सहयोगी पार्टी लोजपा ने भी जुलाई में चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर चुनाव टालने तक का निवेदन कर दिया था। पार्टी ने कहा था कि कोरोना के संक्रमण के डर के दौरान इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना सुरक्षित नहीं होगा।

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। 243 में से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। 2015 में राज्य में 6.68 करोड़ वोटर थे। इनमें 56 फीसदी लोगों ने ही चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

जानकारी के मुताबिक, इस बार तीन से चार चरणों में बिहार विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। हालांकि, 2015 में विधानसभा का चुनाव पांच चरणों में हुआ था। इस बार कम चरणों में चुनाव कराने की वजह ये है कि 2015 में बिहार चुनाव में 72 हजार पोलिंग बूथ थे, लेकिन इस बार चुनाव आयोग करीब एक लाख छह हजार पोलिंग बूथ बनाने की तैयारी कर रहा है। कोरोना काल चल रहा है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखने के लिए ऐसा किया गया है।

 

2015 के चुनाव में बीजेपी ने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 53 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी। बीजेपी का वोट शेयर 37.48 रहा। लोजपा ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज 2 सीटें जीतने में ही कामयाब हो पाई। वोट शेयर 28.79 रहा। जीतन राम मांझी की पार्टी ने हम एक सीट जीती थी। भाकपा माले ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की। चार निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। आरएलएसपी ने 2 दो सीटों पर जीत हासिल की।

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वहीं चुनाव से पहले बिहार कि राजनीती में उठापटक जारी है। पटना में में गुरुवार को आयोजित रालोसपा की एक आपात बैठक के दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने संबोधन में कहा कि हम लोग पूरी मजबूती के साथ रहे हैं और आगे भी रहते, लेकिन राजद ने जिस नेतृत्व को खड़ा किया है उसके पीछे खड़े रहकर प्रदेश में परिवर्तन लाना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि सीटों का मामला आज भी हमारे बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन बिहार की जनता चाहती है कि नेतृत्व ऐसा हो जो नीतीश कुमार के सामने ठीक से खड़ा हो सके। इतनी आकांक्षा और अपेक्षा जरूर थी। अगर अभी भी राजद अपना नेतृत्व परिवर्तन कर ले तो मैं अपने लोगों को समझा लूंगा।

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बता दें कि बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी प्रसाद यादव को आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से राजद ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है।

रालोसपा की बैठक में पार्टी नेताओं ने एकतरफा फैसले लेने की प्रवृत्ति के लिए राजद को खारिज किया है। महागठबंधन को विघटन के कगार पर लाने के लिए राजद को दोषी ठहराया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक रालोसपा नेता, जदयू के साथ लगातार संपर्क में हैं। रालोसपा को महागठबंधन से बाहर निकलना और राजग में वापसी एक औपचारिकता मात्र रह गयी है।

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