लखनऊ। विद्युत वितरण लाइसेंस के लिए अदानी ग्रुप द्वारा गाजियाबाद व नोएडा के लिए विद्युत नियामक आयोग (Electricity Consumer Council) में दाखिल याचिका के खिलाफ उपभोक्ता परिषद ने भी लोक महत्व की याचिका दाखिल कर दी है। उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि अदानी ग्रुप की 24 अप्रैल को स्वीकार्यता के लिए हो रही सुनवाई में उसे भी पक्षकार बनाया जाय। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि अदानी ग्रुप की याचिका कानूनन स्वीकार करने योग्य नहीं है। इसके लिए वह विधिवत विद्युत नियामक आयोग (Electricity Consumer Council) को अवगत कराएगा और इसके तथ्य पर भी सुपुर्द किये जाएंगे।
उपभोक्ता परिषद ने समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस की वजह से होने वाले उपभोक्ताओं के नुकसान की रिपोर्ट भी प्रस्तुत किया है। इसमें महाराष्ट्र में वर्तमान में चल रहे समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस पर निजी घरानों ने कैसे उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ाई है। इसका पूरा ब्योरा दिया गया है।
गाजियाबाद मुंसिपल कारपोरेशन व गौतमबुद्ध नगर जनपद के लिए समानांतर विद्युत वितरण का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए विद्युत नियामक आयोग में अदानी इलेक्ट्रिसिटी जेवर लिमिटेड अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की तरफ से दाखिल याचिका की गयी है। इसके विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग के मेंबर लीगल बीके श्रीवास्तव व सचिव संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर एक लोक महत्व याचिका दाखिल की। उसमें यह मुद्दा उठाया कि अदानी ग्रुप द्वारा गाजियाबाद व नोएडा के लिए मांगे जा रहे समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस कि याचिका को खारिज किया जाए, क्योंकि वह स्वीकार करने योग्य नहीं है। उपभोक्ता परिषद ने जनहित में अदानी की याचिका की स्वीकार्यता पर होने वाली 24 अप्रैल की सुनवाई में उपभोक्ता परिषद को भी पक्षकार बनाने और उपभोक्ताओं के हित में परिषद को भी सुने जाने की अनुमति मांगी है।
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उपभोक्ता परिषद का मानना है कि अभी भी याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है। ऐसे में उपभोक्ता परिषद को जब सुना जाएगा तो उपभोक्ता परिषद बिंदुवार विधिक तथ्य आयोग के सामने पेश करेगा। ये स्वत: सिद्ध कर देंगे कि अदानी ग्रुप द्वारा दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
अदानी ग्रुप ने जिस क्षेत्र के लिए विद्युत वितरण (Electricity Consumer Council) का लाइसेंस मांगा गया है, उस क्षेत्र के एक भाग पर पहले ही विद्युत नियामक आयोग द्वारा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को पूर्व वर्ष 2009 में समानांतर लाइसेंस दिया गया था। इस पर वर्तमान में विधिक विवाद के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में उस क्षेत्र के किसी भाग पर पुनः समानांतर वितरण लाइसेंस दिया जाना उचित नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के लंबित निर्णय का इंतजार किया जाए।