लखनऊ। बिजली उपभोक्ताओं (Electricity Consumers) के लिए खुशखबरी है। उनकी जमा सिक्योरिटी राशि पर ब्याज मिलना शुरू हो गया है। ग्रामीण उपभोक्ताओं को अगस्त माह के बिल में ही ब्याज राशि दी जा रही है, जबकि शहरी उपभोक्ताओं को सितंबर माह के बिल में यह राशि दी जाएगी। इसलिए उपभोक्ता बिजली बिल की जांच कर लें।
यदि ब्याज की राशि बिल में नहीं दर्ज है तो शिकायत करें। इस राशि के घटाने के बाद ही बिजली बिल (Electricity Bills) जमा करें। इस संबंध में बिल संबंधी सॉफ्टवेयर अपडेट कर दिया गया है।
प्रदेश के लगभग 3.30 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं (Electricity Consumers) को उनकी जमा सिक्योरिटी पर ब्याज देने का प्रावधान है। अप्रैल, मई और जून माह के बिजली बिल में ब्याज राशि भी दर्ज की जाती है। ऐसे में जितना ब्याज मिलता है, उतना बिजली बिल की राशि कम हो जाती है। इस बार ब्याज राशि नहीं दी गई। उपभोक्ता परिषद ने पूरे मामले में नियामक आयोग में शिकायत की।
पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) ने बताया कि बिलिंग सॉफ्टवेयर में व्यवस्था न होने के कारण ब्याज राशि नहीं दी जा सकी है, लेकिन अब सॉफ्टवेयर में बदलाव कर दिया गया है। अगस्त और सितंबर माह के बिजली बिल में ब्याज राशि जारी किया जा रहा है।
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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सभी उपभोक्ताओं से अपील की है कि अपने बिल में ब्याज राशि लगना सुनिश्चित करने के बाद ही बिल जमा करें। यदि किसी कारण से ब्याज राशि नहीं दर्ज की गई है तो उसके बारे में अपने उपकेंद्र में अधिशासी अभियंता से संपर्क करें।
उदाहरण:
शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर पर दो किलो वाट तक की सिक्योरिटी राशि 300 रुपये प्रति किलोवाट है।
दो किलोवाट का कनेक्शन होने पर 600 रुपये सिक्योरिटी जमा होती है।
4.25 फीसदी की दर से ब्याज की धनराशि दो किलोवाट पर 25.50 रुपये बनती है।
प्रमुख श्रेणी सिक्योरिटी दर
ग्रामीण घरेलू—- दो किलोवाट तक 100 रुपये –
शहरी घरेलू—–दो किलोवाट तक 300 रुपये प्रति किलोवाट
शहरी घरेलू—–दो किलोवाट से अधिक 400 रुपये प्रति किलोवाट
वाणिज्यिक—–1000 रुपये प्रति किलोवाट
छोटे उद्योग—–1350 रुपये प्रति किलोवाट
किसान नलकूप—300 रुपये प्रति हार्सपावर
बड़े उद्योग——-2200 रुपये प्रति किलोवाट
(नोट: इसी तरह अन्य श्रेणियों में भी सिक्योरिटी की राशि अलग-अलग निर्धारित है। )