लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बिजली (Electricity) व्यवस्था चरमरा गयी है। अधिकारी और शासन के लोग कहते हैं जिला मुख्यालयों और महानगरों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति (Electricity Supply) है, लेकिन हकीकत में जिला मुख्यालयों पर सात से आठ घंटे तक विद्युत कटौती स्थानीय दिक्कतों के कारण हो रही है। इसका कारण है पावर कारपोरेशन के अनुमान से अधिक बिजली की मांग। रविवार को अधिकतम बिजली की मांग 28,043 मेगावाट पहुंच गयी। यह स्थिति तब रही, जब बिजली कटौती (Power Cut) भी होती रही। यदि निर्बाध विद्युत आपूर्ति रहती तो 29 हजार मेगावाट के पार पहुंच जाती।
रविवार को यह अधिकतम मांग रात को 10 बजकर 42 मिनट पर पहुंची थी। वहीं रविवार को ही न्यूनतम डिमांड 17,915 मेगावाट रही। पावर कारपोरेशन का कहना है कि एवरेज सप्लाई महानगर, मंडल और जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे की रही, जबकि अधिकांश जिला मुख्यालयों पर एवरेज दो से तीन घंटे न्यूनतम विद्युत कटौती रही।
उप्र पावर कारपोरेशन अध्यक्ष एम0 देवराज ने बताया कि पूर्व में उपलब्धता के बेहतर मैनेजमेन्ट के कारण प्रदेश में प्रर्याप्त विद्युत उपलब्धता विभिन्न श्रोतों से बनी हुई है। विगत 22 जुलाई को विद्युत मांग 27622 मेगावॉट तक पहुंच गई थी उसके पूर्व जून में मांग 27611 मेगावाट गई थी। वहीं रविवार को नया रिकार्ड बना है।
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अध्यक्ष ने विद्युत निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि आपूर्ति व्यवस्था बाधित ना हो सबको शिड्यूल के अनुरूप विद्युत प्राप्त हो, इसके लिए पूरी सावधानी बरतें। ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हांे तो उन्हें अति शीघ्र बदला जाए। शक्ति भवन में आयोजित वर्कशॉप में सोमवार को अध्यक्ष ने कहा कि हमें विद्युत उपभोक्ता के जीवन स्तर को सुधारने हेतु अधिक संवेदनशील एवं सजग रहना है। विद्युत कार्मिक स्पर्शाघात आदि की दुर्घटनायें न हों इसके लिये विशेष सर्तकता रखे। यदि सम्बन्धित एजेन्सी द्वारा उपरोक्त सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराये जाते हैं तो इसके लिये सम्बन्धित अधीक्षण अभियन्ता उत्तरदायी होंगे।
वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पूरे देश और प्रदेश के उर्जा विशेषज्ञ उत्तर प्रदेश में वर्ष 2023-24 में ऊर्जा की अधिकतम डिमांड के फोरकास्ट में नाकाम हुए हैं। इस संबंध में उपभोक्ता परिषद ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि इस वर्ष 28 हजार मेगावाट के पार विद्युत मांग जाएगी। इस वर्ष पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ने 27531 मेगावाट का अनुमान किया था, वहीं केवल उपभोक्ता परिषद ने लिखित अनुमान 28 हजार के पार दिया था।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार गुप्ता ने कहा कि उस समय पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन उपभोक्ता परिषद की बात को मानने को तैयार नहीं था और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के निदेशक कमर्शियल और प्लानिंग ने उपभोक्ता परिषद की आपत्ति पर विद्युत नियामक आयोग में लिखित जवाब दाखिल किया था कि वर्ष 2023 -24 में प्रोजेक्ट अधिकतम डिमांड 27531 मेगावाट जाएगी। 23 जुलाई को उपभोक्ता परिषद की बात सच निकली तो प्रदेश के सभी उर्जा विशेषज्ञ सकते में आ गये।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यदि बिजली सप्लाई ठीक रहता तो उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य हो जाता जहां पर बिजली उपभोक्ताओं की आवश्यकता के अनुसार सबसे ज्यादा डिमांड निकल कर सामने आ रही है। अभी तक सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में जहां डिमांड रहती थी इस गर्मी में वहां अधिकतम डिमांड 28800 मेगावाट तक पहुंची है।