उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने गुरूवार को कहा कि प्रदेश विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और सरकार का जोर निर्बाध विद्युत आपूर्ति पर है जो निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा।
श्री शर्मा ने नोएडा व ग्रेटर नोएडा के इंडस्ट्रियल एवं घरेलू फ़ीडर्स वाले उपकेंद्रों का निरीक्षण किया। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की दिशा में प्रदेश में निवेश व रोजगार के माहौल को बढ़ावा देने के लिये गांव और शहर के साथ ही उद्योगों को भी निर्बाध बिजली देने पर जोर है। उन्होंने निरीक्षण के दौरान उद्योगों को ट्रिपिंग फ्री आपूर्ति की लगातार मॉनिटरिंग के निर्देश दिये।
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ऊर्जा मंत्री ने दादरी स्थित कुड़ी खेड़ा विद्युत उपकेंद्र, नोएडा एसईजेड और नोएडा के सेक्टर 16ए फ़िल्म सिटी इंडस्ट्रियल फ़ीडर्स वाले विद्युत उपकेंद्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने इंडस्ट्रियल व कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को फोन कर बिजली आपूर्ति की जानकारी ली। अधिकारियों को इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के लिये निर्बाध आपूर्ति देने, नये कनेक्शन की पेंडेंसी न रखने व उपभोक्ता शिकायतों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए।
उन्होने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से बिजली की कोई कमी नहीं है। पर्याप्त, निर्बाध व सस्ती बिजली आपूर्ति के लिये ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को लगातार मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने सही बिल-समय पर बिल सुनिश्चित करने व हाई लॉस फीडर पर लाइन लॉस 15 फीसदी से कम लाने के निर्देश दिये। उपभोक्ता सुविधाओं पर जोर देने और ग्राम प्रधानों से आपूर्ति की लगातार जानकारी लेने के निर्देश दिये।
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श्री शर्मा ने बताया कि प्रदेश विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है। वर्ष 2022 तक ऊर्जा विभाग के राज्य तापीय विद्युतगृहों का उत्पादन 7,260 मेगावाट बढ़कर 12734 मेगावॉट हो जाएगा। इसमें से 1320 मेगावॉट विद्युत उत्पादन इसी वर्ष से बढ़ जाएगा।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 16 सितंबर को अब तक की अधिकतम मांग 23,867 मेगावाट की आपूर्ति की गई। यह साढ़े तीन साल पहले तक की गई अधिकतम आपूर्ति से करीब सात हजार मेगावाट अधिक है। निर्बाध आपूर्ति के लिये तीन साल में प्रदेश में ट्रांसमिशन क्षमता (टीसी) 16,500 से 8000 मेगावाट बढ़कर 24,500 मेगावाट हो गई है। आयात क्षमता (टीटीसी) भी 8700 मेगावाट से बढ़कर तीन साल में 13,500 मेगावाट हो गई है। तीन साल में 92 नए ट्रांसमिशन उपकेंद्र और बेहतर वितरण व्यवस्था के लिए 33/11 केवी के 587 नए उपकेंद्र बने और 1091 उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि की गई है।
उन्होने कहा “हमारा लक्ष्य गांवों को स्वावलंबी बनाना भी है। उन्हें 24 घंटे बिजली दिये जाने का लक्ष्य है। इसके लिए सभी फ़ीडर्स के लाइन लॉस को 15 फीसदी से कम करने का अभियान जनसहयोग से चलाया जा रहा है। भाजपा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 54 फीसदी बिजली ज्यादा दी है।”