नई दिल्ली। कोरोना काल में अगर कोई कंपनी वित्तीय घाटे, कर्ज या फिर लाइसेंस की अवधि खत्म होने की वजह से बंद होती है तो भी कर्मचारी को नोटिस और मुआवजा देने से मना नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने नए लेबर कोड बिल में इन प्रावधानों को नई स्पष्टता साथ पेश किया है। इस पर जल्द ही चर्चा करके कानून बनाया जाना है।
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इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड में साफ कहा गया है कि आपातकालीन स्थितियों का हवाला देकर कंपनियां या उद्योग अपने कर्मचारी को बिना किसी मुआवजे के नहीं निकाल सकते हैं। नए बिल मे मुआवजे के स्पष्ट प्रावधान किए गया है।
इसमें प्राकृतिक आपदा और विषम परिस्थितियों को नए कानूनी दायरे में लाने की कवायद की गई है। बिल में कहा गया है कि एक साल से ज्यादा समय तक काम करने वाले कर्मचारी बिना नोटिस और मुआवजे के नहीं निकाले जा सकते हैं। नए इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल के मुताबिक कंपनी या उद्योग में भारी वित्तीय घाटा या फिर लीज खत्म होना आपातकालीन हालात में नहीं गिना जाएगा।
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इस नई व्यवस्था से कोरोना काल में कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है। कंपनी बंद होने की हालत में कर्मचारियों को नोटिस और मुआवजा देने के साथ साथ छंटनी के शिकार कर्मचारियों के स्किल डेवलपमेंट के लिए खास फंड का भी प्रस्ताव किया गया है। हालांकि सरकार ने ऐसे भी प्रावधान किए हैं जिसके जरिए कंपनी को बंद करने की प्रक्रिया आसान रहेगी, लेकिन उन कानूनों को मजबूत किया जाएगा जिससे कर्मचारियों को आर्थिक तौर पर नुकसान का सामना न करना पड़े।