नई दिल्ली। इस बार देश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की भविष्यवाणी को देखते हुए केंद्र सरकार अभी से सक्रिय हो गई है। गर्मी में लोगों को बिजली (Electricity) की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार कई तरह के इंतजाम कर रही है। बिजली मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने सभी गैस आधारित बिजली उत्पादन स्टेशनों को एक मई से 30 जून तक अपने संयंत्रों को शुरू करने का निर्देश दिया है।
गैस आधारित बिजली उत्पादन स्टेशनों (जीबीएस) के एक बड़े हिस्से का वर्तमान में मुख्यतः व्यावसायिक उद्देश्य से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। विद्युत मंत्रालय ने अप्रैल से जून में 260 गीगावाट अधिकतम बिजली मांग का अनुमान लगाया है। पिछले साल सितंबर में बिजली की अधिकतम मांग 243 गीगावाट के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। जीबीएस को चालू करने का फैसला केंद्र के गर्मियों में बिजली की मांग पूरी करने के लिए उठाए गए उपायों का हिस्सा है।
मंत्रालय के अनुसार, यह आदेश एक मई से 30 जून तक बिजली उत्पादन और आपूर्ति के लिए वैध रहेगा। केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने इस संदर्भ में कई बैठकें कर गर्मी के मौसम में बिजली की अधिक मांग को पूरा करने के लिए इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
बिजली (Electricity) की मांग पूरी करने के लिए ये कदम भी उठाए
– बिजली संयंत्रों के नियोजित रखरखाव को मानसून सीजन में स्थानांतरित करना
– नई क्षमता वृद्धि में तेजी लाना
– तापीय विद्युत संयंत्रों की आंशिक कटौती को कम करना
– कैप्टिव उत्पादन स्टेशनों के साथ अधिशेष बिजली का उपयोग करना
– जल विद्युत उत्पादन को पीक आॅवर्स में स्थानांतरित करना
– कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की ओर से अग्रिम योजना बनाना
– अतिरिक्त बिजली को एनर्जी एक्सचेंज में बिक्री के लिए पेश करना
कोयला आधारित संयंत्रों का परिचालन 15 अक्तूबर तक
सरकार ने आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने का आदेश 15 अक्तूबर तक बढ़ा दिया है। टाटा व अदाणी पावर समेत करीब 16 गीगावाट की क्षमता वाले संयंत्रों का चलाने वाली कंपनियों को संचालन जारी रखने का निर्देश दिया गया है। पहले 30 जून तक संचालन की अनुमति थी।
अधिकतम बिजली (Electricity) उत्पादन सुनिश्चित करने के दिए निर्देश
मंत्रालय के मुताबिक, अधिकतम बिजली उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 11 के तहत सभी गैस आधारित उत्पादन स्टेशनों को निर्देश जारी किए हैं। इनके तहत सरकार के निर्देश पर एक उत्पादन कंपनी असाधारण परिस्थितियों में किसी भी उत्पादन स्टेशन का संचालन और रखरखाव कर सकती है।
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जारी आदेश आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के समान ही है, जिसका उद्देश्य आने वाले महीनों में उच्च मांग अवधि के दौरान गैस आधारित उत्पादन स्टेशनों से बिजली की उपलब्धता को पूरा करना है।
ग्रिड-इंडिया देगा जीबीएस को सूचना
ग्रिड-इंडिया गैस आधारित उत्पादन स्टेशनों को पहले से सूचित करेगा कि गैस आधारित बिजली की आवश्यकता कितने दिनों के लिए है। वितरण लाइसेंसधारकों संग बिजली खरीद समझौते (पीपीए) रखने वाले गैस आधारित उत्पादन स्टेशन पहले पीपीए धारकों को अपनी बिजली की पेशकश करेंगे। यदि उपलब्ध कराई गई बिजली का उपयोग किसी पीपीए धारक की ओर से नहीं किया जाता है, तो इसे बिजली बाजार में पेश किया जाएगा।
पीपीए से मुक्त गैस आधारित उत्पादन स्टेशनों को भी बिजली बाजार में अपने उत्पादन की पेशकश करनी होगी। इस निर्देश के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है।