लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को लागू हुए एक वर्ष पूर्ण हो चुका है। एक वर्ष में राजधानी की पुलिसिंग क्वालिटी में गुणवत्ता बढ़ी है और अपराध ग्राफ काफी हद तक गिरा है। शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर समेत पुलिस विभाग के आलाधिकारियों ने कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के दौरान उपलब्धियां गिनाई।
पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ द्वारा अनोखी पहल की शुरूआत की गई, जिसमें वरिष्ठï नागरिकों व सभी मार्निंग वॉक करने वालों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनकर त्वरित निस्तारण किया गया। शिकायतकर्ता एवं अन्वेषण अधिकारी के बीच पारदर्शिता लोने के लिए जनसुनवाई की शुरूआत की गई। जिसमें विवेचानाधिकारी व वादी को आमने-सामने बैठाकर जनसुवाई की कार्रवाई की जाती है, जिससे जनता के व्यक्तियों को शिकायत के निस्तारण में पारदर्शिता के साथ-साथ समस्याओं का हल शीघ्र किराया जाता है।
#PoliceCommissionerateLucknow के एक वर्ष पूर्ण होने पर पुलिस लाइन में #स्थापना_दिवस_समारोह सम्पन्न हुआ। कमिश्नरेट की उपलब्धियो के सम्बन्ध में पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण किया गया व सराहनीय कार्य हेतु अधि0/कर्म0गणों को@LkoCp द्वारा #प्रशस्तिपत्र प्रदान करते हुए उत्साहवर्धन किया गया। pic.twitter.com/aRtlHsbZRH
— POLICE COMMISSIONERATE LUCKNOW (@lkopolice) January 15, 2021
समय को ध्यान में रखते हुए बीट स्तर पर एक आधुनिक प्रयोग किया, जिसमें बीट के क्षेत्र की जिओ टैगिंग की गयी और गाडिय़ों में जीपीएस लगाकर आरक्षियों की टीम बनाकर कार्रवाई की शुरूआत की गई। जिसमें 206 टीम बनाई है, कण्ट्रोल रूम द्वारा इनकी 24 घंटे निगरानी की जाती है। कोई भी नागरिक कमिश्नरेट लखनऊ की वेबसाई की सहायता से बिना पुलिस स्टेशन गए ऑनलाइन आवदेन की शुरूआत कराई गई। पूर्व में चरित्र सत्यापन होने मेें 2 से 3 माह का समय लगता था। अब महज 15 दिनों में चरित्र सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।
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वन विक्टिम वन ऑफीसर
वन विक्टिम वन ऑफीसर के तर्ज पर 209 पुलिस अधिकारियों को साथी के रूप में नियुक्त किया गया है।द्व जिसका प्रशिक्षण साप्ताहिक कराया जाता है। इसके अन्तर्गत साथी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसका उद्देश्य पीडि़ता व उसके साथी को एक-दूसरे के सामने बैठाकर एक दूसरे के प्रति सहज बनाना है। जिससे पीडि़ता अपनी समस्या रख सके। इसी के अनतर्गत अभियोग पंजीकृत होने से न्यायालय में निस्तारण किये जाने तक एक अधिकारी पीडि़ता के अभियोग की पैरवी हेतु नियुक्त किया जाता है।
महिलाओं के लिए चलाया स्वाभिमान अभियान
कार्यक्रम में बताया कि महिलाओं को स्वावल बी बनाने के लिए जगरूकता अभियान चलाया गया। विभिन्न स्कूलों और कालेजों में अधिकारों और कानून की जानकारी के लिए महिलाओं को स्वाभिमानी बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। कुटु ब क्राइम अगेंस्ट वूमेन एण्ड सिक्योरिटी के तहत परिवारों को टूटने से बचाया गया। विगत एक वर्ष में 197 प्रकरण प्राप्त हुए जिनमें 104 परिवारों की कांउसलिंग कर उन्हें टूटने से बचाया गया। महिलाओं की शिकायत और उनकी सुरक्षा के लिए पिंक बूथ व पिंक पेट्रोल 100 दो पहिया स्कूटी व 10 चार पहिया वाहन चलाये गए। मिशन शक्ति के तहत महिलाओं को स्वावल बी बनाया गया।
तीन वर्षों के अपराध का मूल्यांकन
तीन वर्षों के दौरान साइबर क्राइम का ग्राफ सबसे अधिक 2020 से 2021 बढ़ा है, लेकिन रिकवरी भी सबसे अधिक पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद हुई है। वर्ष 2019 में 2 हजार 3 सौ 95 और वर्ष 2018-19 में 1 हजार 7 सौ 49 , जबकि 2020-21 में 2 हजार 8 सौ 76 मुकदमें साइबर क्राइम में दर्ज हुए हैं। पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद साइबर क्राइम सेल ने लोगों के एक करोड़ से अधिक रुपये वापसी करवाई हैं। इसी तरह पुरस्कार घोषित अपराधियों को विगत वर्षों से ज्यादा इस वर्ष गिर तार किया गया है। इस वर्ष पुलिस मुठभेडें भी सबेस अधिक हुई हैं। मुठभेड के दौरान कई अपराधी गिर तार किए गए हैं। पास्को एक्ट के अपराधियों को जेल भेजा गया है। इसी तरह तमाम अपराधों पर पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के पश्चात लगाम लगाया गया है।