नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा को समर्पित यह पावन पर्व शुरू हो जाता है। नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। इस साल 7 अक्टूबर, गुरुवार को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। इस साल शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक है।
कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस साल दो तिथियां तृतीया और चतुर्थी एक साथ पड़ने के कारण नवरात्रि 8 दिनों के ही पड़ेंगे।
नवरात्रि कब होंगे समाप्त-
शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर तक रहेंगे। 15 अक्टूबर को असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा मनाया जाएगा।
ऐसे करें कलश स्थापना:
कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें।
साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें।
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हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, गाय के घी से बने होने चाहिए। या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी व संकट से छुटकारा मिलता है।
विशेष मंत्र : ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।’ मंगल कामना के साथ इस मंत्र का जप करें।