देहारादून। स्वतंत्र भारत में पहली बार, उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को पारित होने जा रहे समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पर नेता सदन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने अपने संबोधन में कहा कि आज ना केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है।
श्री धामी (CM Dhami) ने कहा,“मैं आज इस अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई देना चाहता हूँ, क्योंकि आज हमारे उत्तराखंड की विधायिका एक इतिहास रचने जा रही है। आज इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए, न केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है।
#WATCH | Dehradun | On Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill, CM Puskar Singh Dhami says, “This is a historic day in the history of Uttarakhand. The resolve we had taken before the people of the state, the promise we had made to the people of the state has now been met.… pic.twitter.com/dc3qXTcgPA
— ANI (@ANI) February 7, 2024
उन्होंने (CM Dhami) कहा कि हमारी सरकार ने आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत और श्रेष्ठ भारत’ मंत्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। श्री धामी (CM Dhami) ने कहा कि प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के तुरंत बाद, पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन किया।
धामी सरकार ने रच दिया इतिहास, उत्तराखंड विधानसभा में पास हुआ UCC बिल
मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने कहा कि 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई जी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई, देश के सीमांत गांव माणा से प्रारंभ हुई यह जनसंवाद यात्रा करीब नौ माह बाद 43 जनसंवाद कार्यक्रम करके नयी दिल्ली में पूर्ण हुई।
उन्होंने (CM Dhami) कहा कि 2 लाख 32 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव दिए। हमारे प्रदेश की देवतुल्य जनता की जागरूकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।