लाइफ़स्टाइल डेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और अनुमोल वचनों को जिसने जिंदगी में उतारा वो खुशहाल जीवन जी रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो इन वचनों और नीतियों को जीवन में ऐसे उतारिए जैसे पानी के साथ चीनी घुल जाती है। चीनी जिस तरह पानी में घुलकर पानी को मीठा बना देती है उसी तरह से विचार आपके जीवन को आनंदित कर देंगे। आचार्य चाणक्य के इन अनुमोल विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार भय का सामना करना चाहिए इस पर आधारित है।
‘भय को नजदीक ना आने दो, अगर यह नजदीक आए इस पर हमला कर दो। यानी कि भय से भागो मत। इसका सामना करो।’ आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को भी कभी भय से भागना नहीं चाहिए। उसका डटकर सामना करना चाहिए। ऐसा करके ही आप अपने आपको सभी डर से मुक्त कर पाओगे। आचार्य के इस कथन का अर्थ असल जिंदगी में बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। अक्सर जिंदगी में आपने कई लोगों को कई चीजों से डरते हुए देखा होगा।
ये भय किसी चीज से डरने से लेकर किसी अपने को खोने तक से जुड़ा हुआ है। दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो डर से मुक्त हो। लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आप इस डर का सामना ना करें। मनुष्य को जीवन में हर एक चीज का डटकर सामना करना चाहिए फिर चाहे वो डर ही क्यों ना हो।
साधारण तौर पर मनुष्य अपने जीवन में कई तरह के डर से जूझता रहता है। ये डर हैं- किसी अपने को खोने का डर, अनहोनी घटना का डर, किसी हॉरर फिल्म को देखने के बाद का डर, कंगाल होने का डर, दूसरों को अपने आप से आगे निकलने का डर। इन सभी डरों से मुक्ति पाने का सिर्फ एक ही तरीका है और वो है सामना करना और अपने विश्वास को डगमगाने नहीं देना।