राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति की जीवनधारा है। गंगा से किसी एक समुदाय या सम्प्रदाय का ही लगाव नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग किसी न किसी रूप में गंगा से जुड़ाव रखते हैं।
वाराणसी के तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन सोमवार को कोविंद ने एक कार्यक्रम में कहा कि मैं स्वयं को मां गंगा की करोड़ों संतानों में से एक मानता हूं। मुझे अपने पूरे जीवनकाल में मां गंगा का सानिध्य मिला है। गंगा की पवित्रता और अविरलता हमेशा मुझे मार्गदर्शन देती रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की 43 प्रतिशत जनता गंगा किनारे रहती है। उन्होंने कहा कि गंगा की स्वच्छता बनाये रखना जरूरी है तथा इसके लिए सरकार द्वारा 2015 में नमामि गंगे योजना की शुरुआत की गई जिसके अच्छे परिणाम भी आये परंतु अभी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।
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उन्होंने कहा कि गंगा की स्वच्छता बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की ही नहीं है, बल्कि यह सभी देशवासियों का कर्तव्य है।
वाराणसी में शिवरात्रि पर निकाली जाने वाली शिव बारात का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, बनारस में निकलने वाली शिव बारात एक समावेशी समूह की कल्पना पर आधारित है। यह एक अनूठी परंपरा है जिसमें हर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते है। बनारस की शिव बारात एक उत्तम समाज की कल्पना है।