लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की 21वीं बैठक में प्रस्तावित परिनियमावली संशोधन को संस्तुत करने के लिए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को पत्र भेजा गया है।
बीते पांच फरवरी को आहूत कार्यपरिषद की 21वी बैठक में परिनियमावली की बिंदु संख्या 7.10 में संशोधन के प्रस्ताव को पारित किया गया है। विश्वविद्यालय की परिनियमावली के अनुसार स्नातक स्तर पर सभी विद्यार्थियों को उर्दू, अरबी या फ़ारसी भाषाओं के प्रारंभिक स्तरीय अध्ययन को अनिवार्य किया गया है।
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इस संबंध में कार्यपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया कि उप्र शासन की अधिसूचना बीते 12 मार्च के अनुसार विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तित कर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय किया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में यह अनिवार्य है कि विश्वविद्यालय द्वारा सभी भाषाओं को बढ़ावा देने का समुचित प्रयास किया जाए। विश्वविद्यालय में टरकिश, पाली, प्राकृत एवं विभिन्न विदेशी भाषाओं के रोज़गारपरक पाठ्यक्रम तैयार करने व उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया गया है।
इसी संदर्भ में कार्यपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया कि परिनियमावली की परिनियम संख्या 7.10 में परिवर्तन कर अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, जापानीज़ तथा अन्य विदेशी भाषाएं व ‘इंट्रोडक्शन टू हिस्ट्री एंड कल्चर ऑफ़ लैंग्वेजइज़’ विषय को सम्मिलित किया जाए।