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शिशु की आयु वृद्धि के लिए किया जाता है निष्क्रमण संस्कार

Desk by Desk
15/08/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, फैशन/शैली, राष्ट्रीय
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Nishkramana Sanskar

निष्क्रमण संस्कार

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लाइफ़स्टाइल डेस्क। हिंदू धर्म के लोगों के जन्म और मृत्यु तक 16 संस्कार किए जाते हैं। इन्हीं में से छठा संस्कार निष्क्रमण होता है। इससे पहले हम आपको 5 संस्कारों के बारे में विस्तार से बता चुके हैं और आज आपके लिए निष्क्रमण संस्कार की विस्तृत जानकारी लाए हैं। नामकरण संस्कार के बाद निष्क्रमण संस्कार किया जाता है। तो चलिए ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र से जानते हैं इस संस्कार का महत्व और इसे कब किया जाना चाहिए।

निष्क्रमण संस्कार का महत्व:

“निष्क्रमणादायुषो वृद्धिरप्युदृष्टा मनीषिभि:”… यह संस्कार शिशु की आयु वृद्धि के लिए किया जाता है। इस समय पिता अपने बच्चे के कल्याण की कामना करता है। हम सभी का शरीर पंचतत्व से बना होता है। ऐसे में पंचतत्वों का सामांजस्य ठीक रूप से बना रहे इसलिए यह संस्कार किया जाता है।

यह संस्कार बच्चे के जन्म के चौथे या छठे महीने में किया जाता है। बच्चे के जन्म लेने के बाद कुछ दिन बच्चे को घर से नहीं निकाला जाता है। माना जाता है कि जब तक बच्चा शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ न हो जाए तब तक उसे घर से बाहर नहीं निकालना चाहिए। इससे जातक पर कुप्रभाव पड़ता है। ऐसे में निष्क्रमण संस्कार के समय सूर्य और चंद्रमा का पूजन किया जाता है। बाल को सूर्य और चंद्रमा के दर्शन करना ही इस संस्कार की मुख्य प्रक्रिया है।

इस तरह करें निष्क्रमण संस्कार:

इस संस्कार के दौरान जातक को घर से बाहर निकाला जाता है और उसे सूर्यदेव के दर्शन कराए जाते हैं। बच्चे का शरीर तक पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है कि उसकी समस्त इंद्रियां अच्छे से काम करने लगे और उसका शरीर धूप हवा आदि को सहन कर पाए तब उसे सूर्य-चंद्रमा के दर्शन कराए जाते हैं। इस दौरान सूर्य-चंद्रमी समेत अन्य देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। अर्थवेद में इस संस्कार से संबंधित एक मंत्र है जिसका वर्णन नीचे किया गया है।

शिवे ते स्तां द्यावापृथिवी असंतापे अभिश्रियौ।

शं ते सूर्य आ तपतुशं वातो वातु ते हृदे।

शिवा अभि क्षरन्तु त्वापो दिव्या: पयस्वती:।।

अर्थात् निष्क्रमण संस्कार के समय देवलोक से लेकर भू लोक तक कल्याणकारी, सुखद व शोभा देने वाला रहे। शिशु के लिए सूर्य का प्रकाश कल्याणकारी हो व शिशु के हृद्य में स्वच्छ वायु का संचार हो। पवित्र गंगा यमुना आदि नदियों का जल भी तुम्हारा कल्याण करें।

इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। फिर एक जल से भरा पात्र लें और उसमें रोली, गुड़, लालपुष्प की पंखुड़ियां आदि का मिला लें। फिर इस जल से सूर्यदेवता को अर्घ्य दें। सूर्यदेव का आह्वान करें जिससे बाल को आशीर्वाद मिल पाए। प्रसाद में गणेश जी, गाय, सूर्यदेव, अपने पितरों, कुलदेवताओं आदि के लिए भोजन पहले ही अलग निकाल दें। फइर लाल बैल को सवा किलो गेंहू व सवा किलो गुड़ खिलाएं। जब सूर्यास्त हो रहा हो तब सूर्यदेव का प्रणाम करें। फिर चंद्रमा के दर्शन भी इसकी तरह कराएं।

Tags: 16 Sanskar of hindu religion6th SanskarHindu DharamLifestyle and RelationshipNishkramana SanskarNishkramana Sanskar ImportanceNishkramana Sanskar Significance
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