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विदेशों में फीकी हो रही है यूपी की फूलों की सुगंध, निर्यात हुआ धड़ाम

Flowers

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लखनऊ। विदेशियों को अब उत्तर प्रदेश के फूलों (Flowers) की सुगंध कम भा रही है। पिछले पांच साल से लगातार बढ़ रहा फूलों का निर्यात वर्ष 2022-2023 में धड़ाम हो गया है। यहां से आधे से भी कम निर्यात हुआ है, जिससे इस दिशा में कदम बढ़ा रहे किसान अब ठिठक रहे हैं।

वैश्विक फूल बाजार (Flowers Market) में भारत का योगदान 0.61 प्रतिशत है, जो कि बहुत ही कम है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक मिजोरम, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हरियाणा, असम और छत्तीसगढ़ को पीछे छोड़ते हुए कर्नाटक (15.85%), तमिलनाडु (15.16%), मध्य प्रदेश (13.66%) और पश्चिम बंगाल (10.61%) राज्यों में पुष्प कृषि की हिस्सेदारी बढ़ गई है।

जबकि यूपी तो अभी गिनती में भी नहीं है। हालांकि फूलों (Flowers) की खेती यहां भी बढ़ी है। गुलाब, कंद, जरबेरा कार्नेशन्स, गेंदा, ग्लेडियोलस जैसे फूल उगाए जा रहे हैं। खास तौर से निर्यात में लगातार पांच साल ऐसे भी रहे, जिसमें फूलों का निर्यात बढ़ता रहा।

प्रदेश यूएसए, यूके, नीदरलैंड आदि देशें में फूल भेज रहा था। लेकिन वर्ष 2022-2023 में निर्यात धड़ाम हो गया। वर्ष 2021-2022 में यूपी ने 3.67 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। वर्ष 2022-2023 में ये घटकर 1.58 करोड़ रह गया।

अब सरकार ने शुरू की कवायद

उप्र ने इस बाबत अब कवायद शुरू की है। फ्लोरिकल्चर मिशन के तहत लखनऊ के बंथरा और कन्नौज समेत कई स्थानों पर डिस्टिलेशन यूनिट स्थापित करने का काम पहले से ही चल रहा है। अत्याधुनिक पॉली और ग्रीनहाउस पर जोर है। पॉलीहाउस बनाने पर 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।

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लगभग 29 लाख रुपये तक यह छूट है। उद्यान विभाग के निदेशक डाॅ. आरके तोमर बताते हैं कि अभी हम स्थानीय आपूर्ति का बाजार तैयार कर रहे हैं। एक एकड़ में पॉलीहाउस बनाने पर लगभग 58 लाख रुपये का खर्च आता है, इसमें 29 लाख तक की छूट सरकार दे रही है। जरबेरा, लिलियम, गुलाब के पॉलीहाउस बढ़ाने पर छूट है। धीरे-धीरे निर्यात भी बढ़ेगा।

अफ्रीकी फूलों ने जमाया कब्जा

पिछले कुछ दिनों में अफ्रीका के फूलों ने विदेश खास तौर से यूरोप में खासी जगह बनाई है। दरअसल, वहां के फूल कम दामों में वैश्विक बाजार में पहुंच रहे हैं। वहां का हवाई किराया भी कम है और आयात शुल्क भी नहीं लगता है। अपने यहां यह सुविधा नहीं है।

यूपी यूरोपियन देशों में नया बाजार तलाश रहा था, इसलिए इसे भी झटका लगा। इसके अलावा ताजे फूल, सूखे फूल, पौधे और शल्क तीनों का निर्यात होता है। यूपी में इन सभी वर्गों को अलग-अलग ढंग से वर्गीकृत कर भेजने की कोई व्यवस्था नहीं है।

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