उत्तर प्रदेश के मथुरा में नंदबाब मंदिर में नमाज पढ़ने के आरोपी फैसल खान की सशर्त जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। रविवार को यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने दिया है। बरसाना थाने में 1 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसमे याची के अलावा सह अभियुक्त चांद मोहम्मद पर बिना पुजारी की सहमति के जबरन नमाज पढ़ने और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल करने का आरोप लगाया गया गया था। यह हिन्दुओं की आस्था को असम्मान करने तथा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की नीयत से किया गया था।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि वह सामाजिक कार्यकर्ता है। खुदायी खिदमतगार के रूप में जाना जाता है। 25 सालों से सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में जुटा हुआ है। वह मंदिर के भीतर नहीं गया। पुजारी की सहमति से मंदिर के बाहर नमाज पढ़ी थी। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने अपील करते हुए कहा कि आरोपी साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करने, गवाहों पर प्रलोभन या अन्य तरीके से दबाव नहीं डालेगा तथा विचारण में सहयोग करेगा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि याची अब कोई भी फोटोग्राफ सोशल मीडिया में वायरल नहीं करेगा।
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बता दें कि नंद गांव में नंदबाबा मंदिर में फैसल खान और उसके साथ ही चांद मोहम्मद द्वारा नमाज अदा की थी। इसके बाद दोनों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। फोटो वायरल होने के बाद मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामी ने इन दोनों के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले में बरसाने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। साथ ही दो अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया गया है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फैसल खान को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। इसके बाद से लगातार फैसल खान मथुरा की जिला जेल में बंद है।
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मंदिर में नमाज पढ़ने वाले फैसल खान ने कहा था कि वह कई दिनों की यात्रा पर था। इस यात्रा का मकसद हिन्दू-मुस्लिम एकता था। हम अपने साथियों के साथ मंदिर में जा रहे थे। लोगों से एकता की बात कर रहे थे। इसी तरह नंदबाबा के मंदिर में भी गए थे। जब नमाज़ का वक्त हो गया तो मंदिर के लोगों ने ही हमें नमाज़ पढ़ने के लिए जगह दी। उसके बाद खाना भी खिलाया। इसके बाद हम लोग वापस दिल्ली आ गए। इसके तीन दिन बाद विरोध शुरू हो गया। गौरतलब रहे कि इसके बाद ही फैसल खान को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।