एक परिवार गौ माता के देहांत के बाद सदमे में है। परिवार वालों का कहना है कि 24 साल तक परिवार के सदस्य के रूप में हम लोगों ने उनकी सेवा की, उनका दूध पीकर हमारे बच्चे बड़े हो गए। उनके जन्म लेने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ। तो उनका नाम लक्ष्मी रख दिया। इस परिवार ने ऐसी गौ माता के निधन के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं संस्कार का आयोजन किया है । इसके लिए तीन हजार लोगों को शोक संदेश का कार्ड छपवा कर भेजा गया है। यह कार्ड अब चर्चा का विषय बन गया है।
जनपद के खोडारे थाना क्षेत्र के गांव घारीघाट के मजरा छगडिहवा के निवासी किसान मोर्चा के मंडल अध्यक्ष विन्देश्वरी वर्मा के घर पर एक 24 वर्षीय गाय ‘लक्ष्मी’ थी।उसका हाल ही में निधन हो गया। उन्होंने तेरहवीं संस्कार के लिए शोक संदेश कार्ड छपवाया है। इसमें लिखा है कि उनकी पूजनीय गौ माता का निधन 13 सितंबर को हो गया है। उनकी तेरहवीं संस्कार 25 सितंबर को है। उन्होंने बताया कि 20 मई 1997 को गौ माता लक्ष्मी का जन्म उनके यहां हुआ था। इसके बाद से वह उनके परिवार का अभिन्न अंग हो गईं। इसके अलावा दो और गोवंश उनके पास थे। परिवार का जुड़ाव उनमें लक्ष्मी से बहुत ज्यादा था। वह कहते हैं कि लक्ष्मी ने उनके परिवार की खूब सेवा की है। वह परिवार के सदस्य की तरह रहती थी। लक्ष्मी के साथ 24 साल कब बीत गए उन्हें पता ही नहीं चला।
विधि विधान से किया गया अंतिम संस्कार
विन्देश्वरी वर्मा कहते हैं कि लक्ष्मी के निधन के बाद से परिवार के लोग दुखी हैं। सालों से उनके परिवार का लक्ष्मी से अटूट रिश्ता रहा है। निधन के बाद से उन्होंने सभी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उसकी अंतिम क्रिया को संपन्न कराया। घर के ही परिसर में गड्ढा खोदा गया। पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम क्रिया सम्पन्न हुई।
विन्देश्वरी वर्मा ने बताया कि उन्हें बेजुबान के प्रति अटूट प्रेम है । वह गौ हत्या जैसी खबरों को सुनकर दुखी हो जाते थे। इसीलिए उन्होंने फैसला किया कि वह लक्ष्मी के निधन के बाद उसकी तेरहवीं भी करेंगे। इससे समाज में एक संदेश जाएगा। उन्होंने तीन हजार से अधिक तेरहवीं के कार्ड क्षेत्र में बटवाएं हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि लोग लक्ष्मी की तेरहवीं में अवश्य आएंगे।
जानवरों को लावारिस छोड़ कर देते हैं सरकार को दोष
छुट्टा जानवरों की भरमार को लेकर उन्होंने समाज के संवेदनहीन लोगों को दोषी ठहराते हुए कहा कि लोगों के अंदर संवेदना मर चुकी है । गाय का दूध खाने के बाद उन्हें लावारिस छोड़ देते हैं। फिर भूखे प्यासे जानवर जब उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, तब वह सरकार को दोष देते हैं कि सरकार ने छुट्टा जानवरों के लिए कोई इंतजाम नहीं किया। नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने पूछा कि आखिर योगी- मोदी कितने जानवरों को यहां छोड़ने आए थे।
ऐसे मामलों में सरकार बनाए कड़े नियम
किसान मोर्चा के मंडल अध्यक्ष बिंदेश्वरी वर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी खबरें मिल रही हैं कि सरकार किसानों को खेत में कंटीले तार हटवाने के लिए निर्देश जारी करने जा रही है । कहा कि ऐसा न करके ऐसे लोगों पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए, जो अपने जानवरों को उपयोग में लेने के बाद लावारिस छोड़ देते हैं । फिर उसके बाद सरकार को दोष देते हैं । जब तक इन्हें चिह्नित कर ऐसे लोगों पर कड़ी कार्यवाही नहीं होगी, तब तक इस समस्या से निजात मिल पाना बहुत ही मुश्किल काम है। सरकार चाहे इसके लिए जितनी गोशाला बनवा दे, फिर भी इन पर नियंत्रण नहीं कर पाएगी।