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परिजनों का शबनम का शव लेने से इंकार, फांसी की सजा से गांव में खुशी का माहौल

Shabnam

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सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी की सजा को बरकरार रखा है। वहीं राष्ट्रपति ने भी शबनम और सलीम की दया याचिका खारिज कर दी है। इस फैसले के बाद शबनम के गांव में खुशी का माहौल है।

शबनम की चाची का कहना है कि खून का बदला खून ही होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शबनम को जल्द फांसी होनी चाहिए। उन्होने कहा कि घटना के समय अगर वह भी घर पर होतीं, तो वो उनकी भी जान ले लेती। उन्होंने कहा कि वह शबनम की शव नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी लड़की का शव लेकर वह क्या करेंगे।

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आपको बता दें कि 15 अप्रैल 2008 को अमरोहा के गांव बामनखेड़ी की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद से प्रेम संबंध में बाधा बने अपने माता-पिता, दो भाई, भाभी, मौसी की लड़की और सात माह के दुधमुंहे भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद निचली अदालत ने शबनम को फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी सजा बरकरार रखी और अब राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया है।

राष्ट्रपति के अपील ठुकराने के बाद अब शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। रामपुर जिला कारागार में बंद शबनम को मथुरा में स्थित फांसी घर में फांसी दी जाएगी। आजाद हिंदुस्तान में ये पहली बार होगा, जब किसी महिला को फांसी होगी। जेल प्रशासन ने रस्सी बनाने का ऑर्डर दे दिया है और शबनम के वजन के बराबर पत्थर को लटकाने का रिहर्सल शुरू कर दिया गया है।

 

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