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मशहूर डिजाइनर ने किया लिंग परिवर्तन का एलान, नया नाम- ‘सायशा’

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मुंबई। सिनेमा में पर्दे के पीछे रहने वाले कलाकार अक्सर गुमनाम ही रह जाते हैं जब तक कि वह जीवन में कुछ अतरंगी सा न कर बैठें। अगर आपने हाल ही में ओटीटी पर रिलीज अक्षय कुमार और कियारा आडवाणी की फिल्म ‘लक्ष्मी’ देखी हो तो आपको बुर्ज खलीफा की शान में गाया गया फिल्म का एक गाना जरूर याद होगा। स्वप्निल शिंदे के मुताबिक छह साल पहले उन्हें इस बात का एहसास होना शुरू हुआ कि उनका शरीर भले देखने में पुरुष जैसी कद काठी का हो लेकिन अकेले में उन्हें इस शरीर की संरचना पुरुष जैसी नहीं लगती।

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इस पर और मंथन के बाद ही स्वप्निल को समझ आया कि उनकी दैहिक अनुभूतियां किसी स्त्री की तरह हैं और उनके गुण भी स्त्रैण्य हैं। इसी के बाद स्वप्निल ने अपने भीतर छुपी इस स्त्री की खोज शुरू की और चिकित्सकों से मुलाकात की। बुधवार को उनकी खोज पूरी हुई और उन्होंने दुनिया को अपना नया परिचय दिया। अपने सोशल मीडिया पर उन्होंने अपने पूरे बदलाव की कहानी बताई और अपना नया नाम भी बताया, ‘सायशा’। इस गाने में अक्षय कुमार अपनी से उम्र में आधी के करीब कियारा आडवाणी के साथ अजीब अजीब भाव भंगिमाएं और देह संरचनाएं बना रहे हैं।

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लेकिन, यहां इस गाने का जिक्र है कियारा आडवाणी की पोशाक की वजह से। ये पोशाक इन दिनों मुंबई का नया फैशन ट्रेंड है और इसे डिजाइन किया स्वप्निल शिंदे ने। ऐसा ही कुछ किया है सेलेब्रिटी फैशन डिजाइनर स्वपनिल शिंदे ने जिन्होंने नए साल में अपनी पहचान बदलकर सायशा की कर ली। स्वपनिल के मुताबिक इस बात का अंदाजा तो उन्हें कॉलेज में ही हो गया था कि वह पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। लेकिन, ये बात उन्हें छह साल पहले ही समझ आई कि उनको लोग भले पुरुष समझते हों लेकिन उनकी असल अनुभूतियां कुछ और हैं।

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स्वप्निल शिंदे के काम पर नजर रखने वाले उन्हें एक बहुत ही प्रतिभावान फैशन डिजाइनर मानते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्स्टाइल से फैशन की पढ़ाई करने वाले स्वप्निल अपने बैच के प्रतिभावान छात्रों में रहे हैं। वह कहते हैं, ‘कॉलेज के समय मैं काफी शर्मीले स्वभाव का व्यक्ति रहा। मैं अपने ही भीतर घुटता रहता था लेकिन धीरे धीरे मुझे समझ आया कि मैं लड़कों की तरफ खिंचाव महसूस करता हूं। इस बारे में मैंने एक दो लोगों से बात की तो समझ आया कि समलैंगिक होना बुरा नहीं है और मैंने भी खुद को ‘गे’ मान लिया। लेकिन, अब भी मैं खुद को समझ नहीं पाया था।’

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