मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपने कार्यों के लिए जाने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक बलवंत मोरेश्वर उर्फ बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार को पुणे में निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने शोक व्यक्त किया है। वह पद्मविभूषण से सम्मानित थे और हाल ही में उन्होंने अपने जीवन के 100 वर्ष पूरे किए थे।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का निधन इतिहास और संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा खालीपन पैदा होगा। उन्हीं की बदौलत आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से और जुड़ेंगी। उनके अन्य कार्यों को भी याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “शिवशहर बाबासाहेब पुरंदरे तर्कबुद्धि, बुद्धिमान और भारतीय इतिहास का समृद्ध ज्ञान रखते थे। वर्षों के कालखंड में मुझे उनके साथ बहुत निकटता से बातचीत का अवसर मिला। कुछ महीने पहले उनके शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम को संबोधित किया था।” इसके साथ प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम का यूट्यूब लिंक भी साझा किया है और कहा कि शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे अपने व्यापक कार्यों के कारण सदैव हमारे बीच रहेंगे।
I am pained beyond words. The demise of Shivshahir Babasaheb Purandare leaves a major void in the world of history and culture. It is thanks to him that the coming generations will get further connected to Chhatrapati Shivaji Maharaj. His other works will also be remembered. pic.twitter.com/Ehu4NapPSL
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2021
वहीं, केन्द्रीय गृह मंत्री ने उन्हें याद करते हुए कहा, “बाबासाहेब पुरंदरे जी के स्वर्गवास की सूचना से अत्यंत व्यथित हूँ। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज जी के गौरवशाली जीवन को जन-जन तक पहुँचाने का भागीरथ कार्य किया। जाणता राजा नाटक के माध्यम से उन्होंने धर्म रक्षक छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथाओं को युवा पीढ़ी के हृदय में बसाया।” उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व बाबासाहेब पुरंदरे जी से भेंट कर एक लंबी चर्चा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उनकी ऊर्जा और विचार सचमुच प्रेरणीय थे। उनका निधन एक युग का अंत है।
शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का आज पुणे में निधन हो गया। बाबासाहेब पुरंदरे का पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज चल रहा था। कुछ दिन पहले घर में बाबासाहेब पुरंदरे का पैर फिसल जाने से वे घायल हो गए थे। बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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बाबासाहेब पुरंदरे ने मुख्यतः ऐतिहासिक विषयों पर लिखा। इसके अलावा, उन्होंने बेहतरीन उपन्यास और नाटक भी लिखे। ऐतिहासिक रूप से प्रशंसित नाटक ‘जनता राजा’ का निर्देशन किया। ‘सावित्री’, ‘जलत्या थिंग्या’, ‘मुजर्याचे मनकारी’, ‘राजा शिवछत्रपति’, ‘महाराज’, ‘शेलारखिंद’, ‘पुरंदर्यंच सरकारवाड़ा’, ‘शंवरवादयतिला शामदान’, ‘शिलंगनाचा सोनम’, ‘पुरंदर की बुरुजवंतिनिचा’, ‘कलांगनाचा’ ‘महाराजची राजचिंहे’, ‘पुरंदरयांची नौबत’ आदि साहित्य प्रकाशित हो चुके हैं। राजा शिवछत्रपति के 16 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और 5 लाख से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।