नई दिल्ली। रामपुर के रहने वाले सरदार कश्मीर सिंह ने किसान आंदोलन में आत्महत्या कर ली। बाकी प्रदर्शनकारी किसान बताते हैं कि आंदोलन में शामिस किसानों की परेशानी औप 54 किसानों की मृत्यु से दुखी होकर गाजीपुर बॉर्डर पर अपनी जान दे दी। आज भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के दर्जनों कार्यकर्ताओं एवं किसानों ने चिल्ला बॉर्डर धरनास्थल पर मौन धारण कर शहीद सरदार कश्मीर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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यह संकल्प लिया कि शहीद किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा जब तक सरकार तीन काले कानूनों को वापस नहीं लेती है तथा एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनाती है तब तक भारती किसान कश्मीर सिंह ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि मेरा अंतिम संस्कार मेरे पोते-बच्चे के हाथों यहीं दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर होना चाहिए।
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उनका परिवार बेटा-पोता यहीं आंदोलन में निरंतर सेवा कर रहे हैं। यूपी पुलिस ने अब सुसाइड नोट अपने कब्जे में ले लिया है। कश्मीर सिंह ने अपनी आत्महत्या के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि आखिर हम कब तक यहां सर्दी में बैठे रहेंगे। इसका कारण आंदोलन के मद्देनजर इस सरकार को फेल होना बताया है और कहा है कि यह सरकार सुन नहीं रही है इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं।
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यूपी गेट यानी गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के 38वें दिन फ्लाईओवर के नीचे शौचालय में एक बुजुर्ग किसान ने आत्महत्या कर ली। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतारा गया। मृतक किसान की पहचान कश्मीर सिंह (75) निवासी बिलासपुर, रामपुर, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है। मृतक किसान के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। यह सुसाइड नोट पंजाबी में लिखा है जिसका अनुवाद कराया जा रहा है।