रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए कहा कि जब दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही थी, तब भारतीय सशस्त्र बल हमारी सीमाओं की बहादुरी से रक्षा कर रहे थे। कोई वायरस हमारे सशस्त्र बलों को उनकी ड्यूटी करने से नहीं रोक सकता।
हिमालय की सीमाओं पर अक्रामकता की स्थिति पर उन्होंने कहा, हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है।
वहीं लद्दाख में बल के साहस की उन्होंने सराहना की और कहा कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सशस्त्र बलों की भारी तैनाती है और इन परीक्षा की घडियों में हमारी सेनाओं ने अनुकरणीय साहस दिखाया है। सिंह ने कहा, हमारे सशस्त्र बलों ने उनका (चीनी सेना) बेहद बहादुरी से सामना किया और उन्हें वापस जाने को मजबूर किया।
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सीमा पार आतंकवाद और पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, हम सीमापार आतंकवाद के शिकार रहे हैं, इस संकट से हम उस समय भी अकेले लड़ते रहे जब हमारा समर्थन करने वाला कोई नहीं था।
उन्होंने कहा, दुनिया भर के देशों को यह समझ आ गया है कि हम इस बारे में सही थे कि पाकिस्तान आतंकवादियों का गढ़ बन रहा है। किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को तेज करने के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को जोर दिया कि कृषि क्षेत्र मातृ क्षेत्र है और इसके खिलाफ कोई भी प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता। उद्योग चैंबर फिक्की की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में हाल में किसानों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर सुधार किये गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा चर्चा एवं वार्ता के लिए तैयार है।
रक्षा मंत्री ने कहा, हमारे कृषि क्षेत्र के खिलाफ कभी कोई प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता। हाल के सुधारों को भारतीय किसानों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर किया गया है।
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उन्होंने कहा, हालांकि, हम अपने किसान भाइयों की बात सुनने के हमेशा इच्छुक हैं, उनके भ्रम दूर करने का हर वह आश्वासन देने को तैयार हैं, जोकि हम दे सकते हैं। हमारी सरकार हमेशा वार्ता एवं चर्चा के लिए तैयार है।
सिंह ने कहा कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जो कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभावों से बचने में सक्षम रहा।
उन्होंने कहा, हमारी फसलें और उनकी खरीद प्रचुर मात्रा में है और हमारे गोदाम भरे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।