• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

ठूठ से भी होंगे किसानों के ठाठ, स्थानीय स्तर पर बढ़ेंगे रोजगार

Writer D by Writer D
16/09/2022
in उत्तर प्रदेश, लखनऊ
0
stubble
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

लखनऊ। अगले महीने से धान की कटाई होने वाली है। कृषि यंत्रीकरण के इस दौर में अमूमन ये कटाई कंबाइन से होती है। कटाई के बाद खेतों (Field) में ही फसल अवशेष (पराली/ठूंठ) (Stubble) जलाने की प्रथा रही है। हर साल धान की पराली जाने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इससे लगे पश्चिमी क्षेत्र के कई हिस्सों में कोहरा मिश्रित धुंआ आकाश में छाकर माहौल को दमघोंटू बना देता है।

हालांकि पर्यावरण संबंधी सख्त नियमों और इसके सख्त क्रियान्वयन से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) के कार्यकाल में पराली जलाने की घटनाएं न के बराबर हुईं हैं। इसमें कानून के अलावा सरकार द्वारा चलाई गई जागरूकता एवं पराली को सहेजने वाले कृषि यंत्रों पर दिए जाने वाले अनुदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

प्लांट लगाने वाले को मिलेंगी रियायतें

अब तो सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 का जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसके अनुसार वह कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइयों को कई तरह के प्रोत्साहन देगी। मुख्यमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वह इस तरह की इकाइयां हर जिले में लगाएगी।

मार्च 2023 तक चालू हो जाएगा गोरखपुर का प्लांट

इस तरह का एक प्लांट करीब 160 करोड़ रुपये की लागत से इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में लगा रहा है। उम्मीद है कि यह प्लांट मार्च 2023 तक चालू हो जाएगा। इसमें फसल गेंहू-धान की पराली के साथ, धान की भूसी, गन्ने की पत्तियां और गोबर का उपयोग होगा। हर चीज का एक तय रेट होगा। इस तरह फसलों के ठूंठ के भी दाम मिलेंगे।

प्लांट के अलावा वहां तक कच्चे माल को पहुचाने में मिलेंगे रोजगार

प्लांट में मिले रोजगार के अलावा प्लांट की जरूरत के लिए कच्चे माल के एकत्रीकरण, लोडिंग, अनलोडिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। सीएनजी एवं सीबीजी के उत्पादन के बाद जो कंपोस्ट खाद उपलब्ध होगी वह किसानों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाएगी।

पराली जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता के लिए जारी रहेगा अभियान

इस बीच पराली जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति किसानों को जागरूक करने के कार्यक्रम भी कृषि विज्ञान केंद्रों, किसान कल्याण केंद्रों के जरिए चलते रहेंगे।

पराली जलाने के क्या हैं दुष्प्रभाव

अगर आप कटाई के बाद धान की पराली जलाने की सोच रहे हैं तो रुकिए और सोचिए। आप सिर्फ खेत नहीं उसके साथ अपनी किस्मत खाक करने जा रहे हैं। क्योंकि पराली के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं। भूसे के रूप में पशुओं का हक तो मारा ही जाता है।

पराली में है पोषक तत्वों का खजाना

शोधों से साबित हुआ है कि बचे डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5, 0.6 और 1.5 फीसद होती है। जलाने की बजाए अगर खेत में ही इनकी कंपोस्टिंग कर दी जाय तो मिट्टी को यह खाद उपलब्ध हो जाएगी। इससे अगली फसल में करीब 25 फीसद उर्वरकों की बचत से खेती की लागत में इतनी ही कमी आएगी और लाभ इतना ही बढ़ जाएगा। भूमि के कार्बनिक तत्वों, बैक्टिरिया फफूंद का बचना, पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग में कमी बोनस होगा।

गोरखपुर एनवायरमेंटल एक्शन ग्रुप के एक अध्ययन के अनुसार प्रति एकड़ डंठल जलाने पर पोषक तत्वों के अलावा 400 किग्रा उपयोगी कार्बन, प्रतिग्राम मिट्टी में मौजूद 10-40 करोड़ बैक्टीरिया और 1-2 लाख फफूंद जल जाते हैं।

उप्र पशुधन विकास परिषद के पूर्व जोनल प्रबंधक डा. बीके सिंह के मुताबिक प्रति एकड़ डंठल से करीब 18 क्विंटल भूसा बनता है। सीजन में भूसे का प्रति क्विंटल दाम करीब 400 रुपए माना जाए तो डंठल के रूप में 7200 रुपये का भूसा नष्ट हो जाता है। बाद में यही चारा संकट का कारण बनता है।

अन्य लाभ

-फसल अवशेष से ढकी मिट्टी का तापमान नम होने से इसमें सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ जाती है, जो अगली फसल के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व मुहैया कराते हैं।

उपभोक्तओ के फोन जरूर उठाए, 1912 पर आ रही शिकायतों का शीघ्र समाधान करें: एम देवराज

– अवशेष से ढकी मिट्टी की नमी संरक्षित रहने से भूमि के जल धारण की क्षमता भी बढ़ती है। इससे सिंचाई में कम पानी लगने से इसकी लागत घटती है। साथ ही दुर्लभ जल भी बचता है।

विकल्प

डंठल जलाने के बजाय उसे गहरी जोताई कर खेत में पलट कर सिंचाई कर दें। शीघ्र सड़न के लिए सिंचाई के पहले प्रति एकड़ 5 किग्रा यूरिया का छिड़काव कर सकते हैं। इसके लिए कल्चर भी उपलब्ध हैं।

Tags: Agriculturecm yogiFArmerfield
Previous Post

उपभोक्तओ के फोन जरूर उठाए, 1912 पर आ रही शिकायतों का शीघ्र समाधान करें: एम देवराज

Next Post

सीएम योगी ने किया बच्चों का अन्नप्राशन व गर्भवती महिलाओं की गोदभराई

Writer D

Writer D

Related Posts

cm yogi
Main Slider

स्नान पर्वों और मेलों के सकुशल आयोजन के लिए ‘स्वच्छता, सुरक्षा और सतर्कता’ हो तैयारियों का आधार: मुख्यमंत्री

04/11/2025
Shivpal Yadav
उत्तर प्रदेश

सपा में किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं… शिवपाल ने इस जिले की सभी फ्रंटल इकाइयों को किया भंग

03/11/2025
Azam Khan
उत्तर प्रदेश

वहां अकेले जाना खतरे से खाली नहीं… बिहार में प्रचार न करने पर बोले आज़म खान

03/11/2025
CM Yogi met each complainant from across the state.
Main Slider

प्रदेशवासियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए संकल्पित है सरकार: मुख्यमंत्री

03/11/2025
AK Sharma
उत्तर प्रदेश

सरकारी योजनाओं की सफलता तभी मानी जाएगी जब जनता को उसका लाभ महसूस हो: एके शर्मा

01/11/2025
Next Post
CM Yogi

सीएम योगी ने किया बच्चों का अन्नप्राशन व गर्भवती महिलाओं की गोदभराई

यह भी पढ़ें

Sawan

कब से शुरू होगा सावन का महीना, ऐसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न

04/06/2025
Supreme Court

‘जाकर राज्यसभा सभापति से मांगिए माफी’, सुप्रीम कोर्ट ने राघव चड्ढा को दिया आदेश

03/11/2023
ICC Test Rankings

ICC Test Rankings में ऋषभ पंत की जबरदस्त छलांग, देखें बड़ा उलटफेर

20/01/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version