नई दिल्ली। तीनों नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार 60 दिन भी जारी है। इसी बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों का प्रदर्शन जल्द खत्म होगा। सरकार अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश कर रही है, हालांकि उन्होंने 26 जनवरी को होने वाली किसान की ट्रैक्टर रैली पर निराशा जताई है।
उन्होंने कहा कि किसान किसी अन्य दिन को भी चुन सकते थे, लेकिन उन्होंने अब जब ठान लिया है तो क्या कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि बिना किसी दुर्घटना के शांतिपूर्ण ढंग से रैली आयोजित करना किसानों के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय होगा।
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तोमर ने आगे कहा कि किसानों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद जब समाधान नहीं निकला। तब मैंने किसानों से कहा कि डेढ़ साल के लिए कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित कर देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित किया है तो हम उनसे अनुरोध करेंगे कि थोड़ा और समय दें ताकि उस समय में हम लोग बातचीत के जरिए हल निकाल सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार किसान और कृषि दोनों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में विगत 6 वर्षों में किसान की आमदनी बढ़ाने, खेती को नई तकनीक से जोड़ने के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं और प्रयास किए गए हैं। एमएसपी को डेढ़ गुना करने का काम भी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुआ।
उन्होंने कहा कि किसानों को उसके उत्पादन का सही दाम मिल सके,किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हो सके इसलिए जहां कानून बनाने की आवश्यकता थी वहां कानून बनाए गए और जहां कानून में बदलाव की आवश्यकता थी वहां कानून में बदलाव भी किए गए। इसके पीछे सरकार और प्रधानमंत्री की साफ नीयत हैं।
मुंबई में शरद पवार ने किसानों को किया संबोधित
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली के अलावा सोमवार को मुंबई में भी आंदोलन हो रहा है। ऑल इंडिया किसान सभा के नेतृत्व में नासिक से पैदल चलकर हजारों किसान मुंबई पहुंचे हैं। यहां अलग-अलग जिलों से किसान पहुंचे हैं। इस आंदोलन की खास बात ये है कि राज्य सरकार के भी प्रतिनिधि यहां पहुंच रहे हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार जहां किसानों के बीच पहुंचे। पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इस ठंडे मौसम में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले 60 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री ने इनके बारे में जानकारी ली? क्या ये किसान पाकिस्तान के रहने वाले हैं?