नई दिल्ली। लोहा व्यापारियों की मानें तो यहां अधिकतर कच्चा माल पंजाब के लुधियाना, हरियाणा के बहादुरगढ़, झारखंड के बोकारो, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद से आता है। वहीं माल की सप्लाई भी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, उड़ीसा, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में होती है। बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन, व्यापारियों का कहना है कि जब से किसान आंदोलन के कारण बॉर्डर बंद हुए हैं तब से काफी कम संख्या में मजदूर काम पर आ रहे हैं।
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कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में उद्योगों पर भी असर होने लगा है। कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन के कारण पहले से ही उद्योगों की हालात खराब थी। अब किसान आंदोलन से भी पटरी पर लौट रहे कारोबार पर असर पड़ रहा है। दिल्ली के आनंद पर्वत औद्योगित क्षेत्र की बात करें तो यहां चार हजार से ज्यादा फैक्टि्रयां हैं। इन फैक्टि्रयों में लोहा, रबर और स्टील का काम बड़े स्तर पर होता है।
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माल आने में भी कई-कई दिन लग रहे हैं। इससे भी नुकसान हो रहा है। व्यापारियों का कहना है कि रास्ते बंद होने से समय पर कच्चे माल व की तैयार माल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इससे पैसे का सर्कुलेशन नहीं हो पा रहा है। अनलॉक के बाद धीरे-धीरे कामकाज पटरी पर लौटना शुरू हुआ तो अब किसान आंदोलन से एक बार फिर कारोबार की गति धीमी हो गई है। मेरा आनंद पर्वत में लोहे की स्लेट बनाने का काम है।