रामपुर। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के आह्वान पर किसानों के प्रदेश व्यापी आंदोलन के चलते रामपुर में सैकड़ों किसान बैलगाड़ियों से कलेक्ट्रेट पहुंचे थे।
किसानों ने गन्ने का बकाया भुगतान धान खरीद में धांधली और कृषि बिल वापस लेने को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। किसान कलेक्ट्रेट परिसर में रात के अंधेरे में भी डेरा डाले हुए हैं और अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं उनका कहना है जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं सुनती तब तक वह धरने पर रहेंगे।
किसानों के अनिश्चितकालीन धरने को लेकर जिला अध्यक्ष हसीब अहमद ने कहा कि जिन मांगों को लेकर हम सब बैठे हैं गन्ने का बकाया भुगतान है धान खरीद में धांधली बिजली विभाग ने किसानों को त्राहि-त्राहि कर रखा है।
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किसी का 1 महीने का बिल 90 हज़ार किसी का 1 लाख का किसी का 30 हजार का यह तमाम मांगे हैं जिन सबको लेकर हम बेमियादी धरने पर बैठे हैं जब तक हमारी मांगे सरकार नहीं मानती है अब चाहे आंधी आए ठंड पड़े बारिश हो मरे या जियें उठ कर नहीं जाएंगे।कहा कि प्रशासन कुछ सुनना नहीं चाहता, बल्कि उन्होंने हमें रोकने का प्रयास किया । किसानों से कहा परमिशन दिखाओ, हिंदुस्तान का किसान अन्नदाता अगर परमिशन लेने लगे तो फिर लोकतंत्र कहां रह जाएगा।
किसान अपनी बात सरकार से प्रशासन से कहने आ रहा है तो क्या उसे परमिशन लेनी पड़ेगी तो फिर कहां लोकतंत्र है हमें कोई एमपी नही बनना विधायक नहीं बनना किसान का अपना दर्द है वह आपको सुनाने आ रहा है और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि वह किसान की बात सुने और शासन प्रशासन तक बात को पहुंचाएं ।
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साथ ही कहा कि अगर हमारे साथ कुछ होता है तो उसका जिम्मेदार प्रशासन होगा उन्होंने हमें कहाँ डाला है बियाबान जंगल में डाल दिया है रात को कोई सांप भी आ सकता है कीड़ा भी, लेकिन हम अपनी मांगे लेकर बैठे हैं हमें कोई परवाह नहीं है फिर चाहे हम मर जाएं या कुछ भी हो मगर मांगे जो हमारी हैं अगर नहीं सुनेंगे तो धरना लगातार चलेगा। वहीं उन्होंने कहा किसानों के लिए प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है वही जब कोई चार लोग हल्ला काट देते हैं तो प्रशासन की तरफ से व्यवस्था हो जाती है। उन्होंने कहा देश का अन्नदाता अब यहां पड़ा हुआ है अब चाहे जो भी अंजाम हो।
इसके साथ ही किसानों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और खाने-पीने से लेकर हुक्का आदि का भी इंतेज़ाम करके डेरा डाले हुए हैं।