लखनऊ| सोमवार को जेईई एडवांस्ड परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए। आईआईटी में पढ़ाई का सपना देख रहे इ होनहारों में कुशीनगर के आलोक कुमार बिना कोचिंग दिए ही परीक्षा में पास हुए। यहां पढ़ें ऐसे ही होनहारों की कहानी:
आलोक कुमार : 6282 वां रैंक
प्रतिभा किसी कोचिंग की मोहताज नहीं है। बिना कोचिंग के भी आईआईटी तक का सफर तय किया जा सकता है। यह साबित कर दिखाया है कुशीनगर के किसान संजय कुमार मिश्रा के होनहार बेटे आलोक कुमार ने। बहन ऐश्वर्या मिश्रा और भाई अतुल कुमार के साथ लखनऊ में किराये के मकान में रहकर आलोक ने तैयारी की।
अवध कॉलिजिएट के छात्र आलोक ने 12वीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता पाई। आलोक बताते हैं कि वह वर्ष 2012 में लखनऊ में आए थे। अवध कॉलिजिएट में 6वीं कक्षा में दाखिला लिया। पूरी तैयारी सेल्फ स्टडी से की। इस दौरान एक शिक्षक ने उनकी काफी मदद की। आलोक को जेईई मेन्स में 98.42 परसेंटाइल मिले थे।
क्लैट काउंसलिंग के लिए परीक्षा का रिजल्ट ऑफिशियल वेबसाइट पर घोषित
श्रेयांश सिंह 424
श्रेयांश हमेशा से देश के सबसे बड़े तकनीकी संस्थान से पढ़कर इंजीनियर बनने का सपना देखते थे। उन्होंने 9वी कक्षा से ही जेईई की तैयारी शुरू कर दी। श्रेयांश कहते हैं कि आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना उनका लक्ष्य है। इसके लिए उन्होंने न केवल सोशल मीडिया बल्कि फोन तक से दूरी बनाई रखी। मूल रूप से हरदोई के रहने वाले श्रेयांश ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाने और बेहतर करने के लिए आईएएस बनना चाहते हैं। श्रेयांश के पिता सुधीर कुमार गन्ना विभाग में सचिव और मां शिखा गृहणी हैं।
शाश्वत गुप्ता : 603
शाश्वत के पिता डॉ.संतोष गुप्ता स्वास्थ्य भवन में स्टेट टीबी ऑफिसर और माता डॉ.कंचन गुप्ता बीएमसी अलीगंज में स्री रोग विषेशज्ञ हैं। डॉक्टर मां बाप के बेटे शाश्वत अपनी मेहनत से आईआईटी तक के सफर तय कर लिया। शाश्वत कहते हैं कि करीब तीन साल मेहनत की। कोचिंग की पढ़ाई के साथ सेल्फ स्टडी को अपना मूल मंत्र बनाया। क्लास रूम में जो भी कुछ पढ़ा, घर आकर उसका रिवीजन जरूर किया। वह कहते हैं कि कभी जबरदस्ती पढ़ाई नहीं की। अपना टाइम टेबल बनाया।