तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी ‘घर वापसी’ की तैयारी शुरू कर दी है। सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान अब लौट रहे हैं। किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है और तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वो वापस लौट रहे हैं।
वहीं, पंजाब के 32 किसान संगठनों ने घर जाने का प्रस्ताव रखा है। पंजाब के किसान 11 दिसंबर से घर वापसी शुरू करेंगे। प्रस्ताव के मुताबिक, किसान 11 दिसंबर को बॉर्डर से निकलेंगे और 13 दिसंबर को अमृतसर के हरमिंदर साहिब पहुंचेंगे। किसान संगठनों ने टोल प्लाजा को भी मुक्त करने का प्रस्ताव किया है। पिछले साल सितंबर से ही किसान संगठनों ने पंजाब के सभी टोल प्लाजा को फ्री कर दिया था।
इसी बीच सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक चल रही है। इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत समेत बड़े नेता मौजूद हैं। इसी बैठक में किसान आंदोलन को वापस लेने पर आखिरी फैसला लिया जा सकता है।
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हालांकि, न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि किसान नेता किसान आंदोलन को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं। आज किसान आंदोलन खत्म होने की उम्मीद इसलिए भी क्योंकि एक दिन पहले ही किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ सालभर से चल रहे आंदोलन में एक ‘निर्णायक क्षण’ में पहुंच गए हैं।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी बताया था कि मांगों पर सरकार की ओर से जो पहले प्रस्ताव भेजा गया था, वो मंजूर नहीं था, इसलिए बुधवार को सरकार की ओर से नया प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर बैठक में सहमति बन गई है।