हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बहुत पावन और विशेष मानी गई है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित की गई है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। साल में एकादशी के 24 व्रत पड़ते हैं। हर एकादशी व्रत का अपना महत्व है, लेकिन पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) व्रत बहुत विशेष माना जाता है। पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन उपवस और भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन करने पर घर में खुशहाली आती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजन करने वालों के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। भगवान की कृपा से घर धन का भंडार से भरा रहता है। जीवन में कोई दुख नहीं रहते। इस दिन पूजा के समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।
इस साल कब है पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) का व्रत?
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह के 5 बजकर 5 मिनट हो जाएगी। वहीं इस तिथि का समापन 26 मार्च को सुबह में 3 बजकर 45 मिनट पर हो जाएगा। हिंदू धर्म उदया तिथि मान्य होती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को रखा जाएगा।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ श्रीं ह्रीं पूर्ण गृहस्थ सुख सिद्धये ह्रीं श्रीं ॐ नमः ।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
पापमोचिनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) व्रत का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में पापमोचिनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) के व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। ये व्रत हर साल व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए रखा जाता है।
पापमोचिनी एकादशी के व्रत को करने से सभी प्रकार की मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से हवन, यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होते हैं।