लाइफ़स्टाइल डेस्क। भारत में बहुत कम मरीजों में ही बुखार कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों के रूप में सामने आया है। दिल्ली स्थित एम्स के अध्ययन से पता लगा कि सिर्फ 14 फीसदी मरीजों को ही संक्रमण के दौरान बुखार था। देश में महामारी के शुरूआती दौर में एम्स में भर्ती रहे मरीजों पर यह अध्ययन किया गया, जिसका विवरण इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। यह संस्थान आईसीएमआर से संबद्ध है।
शोधकर्ताओं ने 144 मरीजों के अध्ययन के आधार पर कहा कि दुनिया के बाकी देशों के विपरीत यहां संक्रमित मरीजों में बुखार प्रमुख लक्षण नहीं था। वायरस के शुरूआती लक्षणों और उपचार के दौरान के लक्षणों में मरीजों ने सांस से जुड़ी परेशानियां ज्यादा महसूस कीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि मात्र 17 प्रतिशत मरीजों को ही बुखार हुआ। शोध के निष्कर्षों पर दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रंजीत गुलेरिया का कहना है कि वायरस के लक्षणों के बारे में हमें समय के साथ कुछ नया पता लग रहा है। यह संक्रमण हमारे आकलन से ज्यादा व्यवस्थित ढंग से फैल रहा था।
144 उत्तर भारतीय मरीजों पर अध्ययन-
यह अध्ययन एम्स, दिल्ली में 23 मार्च से 15 अप्रैल तक भर्ती रहे 144 मरीजों पर किया गया जो कि उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों से थे। शोधदल में एम्स के निदेशक डॉ. रंजीत गुलेरिया समेत 29 विशेषज्ञ शामिल थे।
17 प्रतिशत मरीजों में ही बुखार-
शोधकर्ताओं ने पाया कि 144 मरीज में से मात्र 17 प्रतिशत मरीजों को ही बुखार था। सिम्प्टोमैटिक मरीजों में श्वसन संबंधी समस्याएं, गले में खराश और खांसी जैसे कोरोना के लक्षण देखे गए। इन मरीजों में 44 प्रतिशत मरीज एसिम्प्टोमैटिक थे जिनमें अस्पताल में भर्ती होने से उपचार होने तक कभी बुखार नहीं देखा गया। इस आधार पर शोधकर्ताओं का आकलन है कि उस वक्त भी कोरोना वायरस ‘साइलेंट स्प्रेडर’ की तरह बिना लक्षण के लोगों को संक्रमित कर रहा था।
शुरूआती संक्रमित मरीजों में ये लक्षण थे-
शोधकर्ताओं ने 144 मरीजों के लक्षणों के आधार पर बताया कि उस वक्त ज्यादातर कम उम्र वाले मरीज थे। अधिकांश मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे थे। लक्षण दिखने वाले मरीजों में खांसी सबसे सामान्य लक्षण था जबकि बुखार बहुत ही कम लोगों में था। कई मरीजों की आरटीपीसीआर जांच के निगेटिव आने में लंबा वक्त लगा। साथ ही उपचार के दौरान इन मरीजों को आईसीयू की जरूरत बहुत कम पड़ी।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष दिया कि चूंकि बहुत कम पॉजिटिव मरीजों को बुखार था इस हिसाब से आगे भी मरीजों की जांच व उपचार के दौरान मरीजों के दूसरे शारीरिक लक्षणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
भारत के विपरीत चीन में 44 प्रतिशत संक्रमित मरीजों में जांच के दौरान बुखार पाया गया जबकि अस्पताल में उपचार के दौरान 88 प्रतिशत मरीजों को बुखार रहता था। दूसरे देशों में भी कोरोना पीड़ित मरीजों में बुखार एक प्रमुख लक्षण रहा है।
भीड़ वाले स्थानों से संक्रमित हुए-
अध्ययन में शामिल 144 मरीजों में से 134 पुरुष थे जिसमें दस विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इन मरीजों की औसत उम्र 40 साल थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन मरीजों को संक्रमण ऐसे राज्यों की यात्रा के दौरान हुआ, जो वायरस प्रभावित थे। कई मरीजों को भीड़भाड़ वाले इलाकों, एयरपोर्ट व अन्य सार्वजनिक स्थानों में किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर संक्रमण हुआ। इन मरीजों में एक हेल्थ वर्कर और एक प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल था जो काम के दौरान संक्रमित हो गए।