इस्लामाबाद। पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली के बीच सुरक्षा चिंताओं और सीमा पर तैनात सेना के जोश को भी मंद कर दिया है। हालात यह है कि वाघा बॉर्डर Wagah Border) पर होने वाली परेड में दर्शकों की संख्या लगातार घटती जा रही है। भारत की तुलना में पाकिस्तान की परेड में शामिल होने वालों की संख्या कम होती जा रही है।
कोरोना महामारी के चलते सीमा पर पाकिस्तानियों की भीड़ कम हो गई थी। अब सब कुछ सामान्य होने के बावजूद वाघा बॉर्डर पर जोश नहीं लौटा है। वाघा बॉर्डर (Wagah Border) पर भीड़ में कमी के पीछे सामाजिक-आर्थिक कारक सबसे बड़े कारण हैं। विश्लेषकों का मानना है कि मुद्रास्फीति इसका सबसे प्रमुख कारण है। वे यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान की युवा पीढ़ी को अब आक्रामक परेड में कोई दिलचस्पी नहीं है।
वाघा-अटारी बॉर्डर दोनों देशों के पंजाब के दो प्रमुख शहरों को जोड़ता है। यह बॉर्डर हर रोज होने वाले ध्वजारोहण समारोहों के लिए जाना जाता है। दोनों तरफ से सैनिक और बीएसएफ के जवान इस परेड में हिस्सा लेते हैं और सम्मानपूर्वक अपने-अपने देशों के झंडे नीचे उतारते हैं। अब तक इस परेड में शामिल होने के लिए बॉर्डर के दोनों ओर से हजारों नागरिक आते रहे हैं। यह परेड सैनिकों के जोश और दर्शकों के उत्साहवर्धन के लिए मशहूर है। भारत में जहां अभी भी लोग अपने सैनिकों का उत्साहवर्धन करने पहुंच रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में ज्यादातर कुर्सियां खाली नजर आ रही हैं।
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पाकिस्तान में बने स्टेडियम में 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है। लेकिन इन दिनों सिर्फ 1500 से 2000 लोग ही परेड देखने आ रहे हैं। रविवार को जब छुट्टी का दिन होता है तब यह संख्या ज्यादा से ज्यादा 3000 तक पहुंच जाती है।
वहीं भारत में बने स्टेडियम की क्षमता 25 हजार है और यहां आने वाले दर्शकों की संख्या पाकिस्तान की तुलना में कहीं ज्यादा है। पाकिस्तान में वाघा बॉर्डर पर दर्शकों की संख्या कम होने के पीछे आर्थिक संकट सबसे प्रमुख कारण है। कुछ नागरिकों का मानना है कि कानून व्यवस्था की वजह से लोग सीमा पर जाने से बच रहे हैं।