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हर सताई हुई बहन बेटी की आवाज बनने के लिए लड़ रही हूं चुनाव : आशा सिंह

asha singh

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उन्नाव। पूर्व विधायक और बलात्कार के जुर्म में सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर से न्याय की लड़ाई जीत चुकी जिले के मांखी गांव की पीडिता की मां आशा सिंह (asha singh) कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं और उनका कहना है कि वह सत्ता सुख के लिए नहीं बल्कि बहन बेटियों को इंसाफ दिलाने के लिये चुनाव लड़ रही हैं।

पीडिता का कहना है कि वैसे तो प्रियंका दीदी (कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा) चाहती थीं कि वह (पीडिता) चुनाव लड़े लेकिन उम्र कम होने की वजह से उसकी मां आशा सिंह चुनाव मैदान में हैं।

उन्नाव सदर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी आशा सिंह कहती हैं,   जैसा मेरी बेटी के साथ हुआ, ऐसा किसी और के साथ न हो।   वह कहती हैं,   मेरा चुनाव लड़कर जीतने का उद्देश्य सत्ता सुख पाना नहीं हैं बल्कि हर ऐसी पीडित बेटी-बहन की आवाज उठा कर उसे इंसाफ दिलाना हैं, जिसके साथ कुछ गलत हुआ हो।

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मां के साथ कंधे से कंधा मिला कर चुनाव प्रचार कर रही पीडिता ने कहा,   अब हम दबकर नहीं बल्कि सिर उठाकर महिलाओं के साथ बदतमीजी करने वालों के खिलाफ लड़ेंगे। हम हर सताई हुई बहन बेटी की आवाज बनेंगे। मुझे उम्मीद हैं कि हमारे जिले की जनता हमारे साथ हुए जुल्म को समझेगी और हमारी मां को चुनाव जिता कर विधानसभा भेजेगी।

उन्नाव सदर सीट पर कांग्रेस के अलावा भाजपा ने मौजूदा विधायक पंकज गुप्ता को, समाजवादी पार्टी ने अभिनव कुमार को और बसपा ने देवेन्द्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।

आशा सिंह मांखी गांव की दुष्कर्म पीडिता की मां है, जिन्होंने बेटी को न्याय दिलाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी। मामले में बांगरमऊ से भाजपा के तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा हुई।

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आशा सिंह ने  भाषा  से कहा,   जैसा मेरी बेटी के साथ हुआ है, वैसा किसी और बहन बेटी के साथ न हों। अगर चुनाव जीती तो कमजोर तबके की आवाज बनने के साथ हर पीड़ित मजलूम की लड़ाई लड़ूंगी। राजनीति में आने का मकसद सत्ता सुख हासिल करना नहीं बल्कि पीड़तों की आवाज को उठाना और उनको न्याय दिलाना है।

उन्होंने कहा,   उप्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार कानून व्यवस्था ठीक होने का दावा करती है, लेकिन अगर कानून व्यवस्था ठीक होती तो मेरी बेटी के साथ ऐसी दुर्भाज्ञपूर्ण घटना न होती। अब किसी बहन बेटी की इज्जत के साथ खिलवाड़ न हो, इसलिए मैं राजनीति में उतरी हूं।

आशा कहती हैं,   हमें हर गांव और हर मोहल्ले से जनता विशेषकर महिलाओं का अपार समर्थन मिल रहा हैं और उम्मीद है कि इस बार उन्नाव सदर विधानसभा सीट से मैं चुनाव जीतूंगी।

आशा सिंह पढ़ी-लिखी नहीं हैं इसलिए चुनाव प्रचार में उनकी पीडिता बेटी और उसकी बहन भी उनके साथ रहती हैं।

मां के साथ चुनाव प्रचार में जुटी पीडिता ने कहा,   हमारा दर्द प्रियंका दीदी ने समझा और राजनीति में आने का मौका देते हुए कहा कि अब और बेटियों के साथ यह न हों इसलिए मेरी मां को मैदान में उतारा।

पीडिता 11वीं कक्षा की छात्रा है। वह कहती है,   बहुत जुल्म सह लिया, मेरे साथ गलत करने वाले को जेल की सलाखों की पीछे पहुंचा दिया। अब कोई भी, चाहे कितनी ही ऊंची पहुंच वाला क्यों न हों, किसी भी बेटी के साथ कुछ गलत करने से पहले सोचेगा। क्यूंकि कानून के हाथ बहुत लंबे हैं और भगवान के घर भी देर हैं अंधेर नहीं।

राजनीति में धनबल और बाहुबल हावी रहता है, ऐसे में क्या चुनावी रणनीति रहेगी, के सवाल पर प्रत्याशी की बेटी पीडिता का कहना था जिसके पास जो है वह उसके आधार पर चुनाव लड़ेगा। हमारे पास जनता है, हम जनता के सहारे ही चुनाव लड़कर जीतेंगे। मुश्किलें आएंगी, लेकिन अकेले नहीं हैं। चुनाव जनता लड़ रही है, हम हर पीडिता का दुख-दर्द समझेंगे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के  लड़की हूं लड़ सकती हूं  के नारे में एक लाइन और जोड़ी है   लड़की हूं, लड़ सकती हूं और बहन-बेटियों को न्याय दिला सकती हूं।

पीडिता ने कहा,   मैं और मेरी बहन अलग अलग टीम बनाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। और सुबह नौ बजे से शाम तक प्रचार करते हैं। हमें उम्मीद हैं कि हम चुनाव जीतेंगे।

वह बताती हैं कि प्रियंका दीदी ने मध्य प्रदेश, दिल्ली से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की टीम भेजी हैं, जो हमारे साथ चुनाव प्रचार कर रही हैं, इसके अलावा स्थानीय महिलायें भी भारी संख्या में हमारी मां के लिए गांव गांव गली गली प्रचार कर रही हैं। सबका एक ही मकसद हैं कि भविष्य में किसी बहन बेटी के साथ ऐसी कोई घटना न हों जैसी मेरे साथ हुई हैं।

आशा सिंह के प्रचार में लगी रेनू देवी का कहना हैं कि   प्रियंका दीदी ने जिस तरह एक पीडिता को सम्मान दिया वह काबिलेतारीफ हैं, हम महिलाओं की इच्छा है कि आशा जी चुनाव जीतें और प्रियंका जी के हाथों को मजबूत करें।

आशा सिंह ने कहा,   चुनाव में मेरा मुद्दा बहन बेटियों के सम्मान की रक्षा करना तो है ही इसके अलावा लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल खुलवाना, सड़कों का चौड़ीकरण, नालियों का निर्माण, बेरोजगारों के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराना भी है।

गौरतलब है कि चार जून 2017 को सेंगर से मिलने के लिए उनके घर के करीब रहने वाली एक किशोरी एक महिला के साथ नौकरी मांगने के लिए पहुंची थी। एक दिन उस किशोरी ने खुलासा किया कि विधायक ने उसके साथ बलात्कार किया था।

इस मामले में अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। मामला जब तूल पकड़ने लगा तो अप्रैल 2018 में जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दी गई। बाद में भारतीय जनता पार्टी ने सेंगर को पार्टी से निकाल दिया।

दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने 19 दिसंबर 2019 को कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई। सेंगर के दोषी पाये जाने के बाद उप्र विधानसभा ने उसकी सदस्यता रद्द कर दी और बांगरमऊ विधानसभा सीट रिक्त घोषित कर दी थी। नवंबर 2020 में बांगरमऊ सीट पर उपचुनाव हुआ और भाजपा के श्रीकांत कटियार ने यह चुनाव जीता।

उन्नाव सदर सीट पर चौथे चरण में 23 फरवरी को वोट डाले जायेंगे।

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