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फाइलेरिया बना सकता है जिन्दगी भर के लिए दिव्यांग

Filaria

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लाइफ़स्टाइल डेस्क। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। ये बीमारी व्यक्ति को हमेशा के लिए अपंग या दिव्यांग बना सकती है। फाइलेरिया या लिम्फैटिक फाइलेरियासिस मच्छरों के काटने से फैलने वाला रोग है। भारत में लगभग 65 करोड़ लोगों को इस बीमारी का संभावित खतरा है। ज्यादातर लोगों में ये बीमारी छिपी हुई अवस्था में होने के कारण इसका पता लोगों को नहीं चलता है। फाइलेरिया भी मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है और इससे बचने के उपाय भी बहुत सामान्य हैं – मच्छरों से बचना।

भारत में फाइलेरिया के लगभग करोड़ों मरीज हैं लेकिन ज्यादातर लोगों में ये बीमारी इस स्टेज पर नहीं पहुंची है कि उनमें लक्षण दिखें, यानी उनके हाथ, पैरों में सूजन नजर आने लगे, जिसे हाथी पांव कहते हैं। चूंकि इस बीमारी के ज्यादातर मरीज एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षणों वाले हैं, इसलिए कुछ लोगों को फाइलेरिया बड़ी बीमारी नहीं लगती है। भारत में फाइलेरिया के 90 फीसदी मरीज उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा और मध्यप्रदेश से आते हैं।

रोग संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। जब कई बार संक्रमित मच्छर काटते हैं, तो धीरे-धीरे ये बीमारी शरीर में पनपती है। मच्छरों के द्वारा माइक्रो फाइलेरिया व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं और यहीं से बीमारी की शुरुआत होती है। ये बीमारी आमतौर पर जानलेवा नहीं होती है।

फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं, जैसे कि अचानक बुखार आना (आमतौर पर ये बुखार 2-3 दिन ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, इस्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, अंडकोष में सूजन आदि। फाइलेरिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। माइक्रो फाइलेरिया के पैरासाइट दिन में लिम्फैटिक सिस्टम में आराम करते हैं और रात के समय ब्लड में आते हैं। इसलिए इस बीमारी का टेस्ट रात में करना पड़ता है। किन्हीं लोगों में ये बीमारी पूरी जिंदगी सामने नहीं आती। पर ये लोग मच्छरों तक संक्रमण पहुँचा सकते हैं।

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