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वित्त मंत्री पेश करेंगी अपना 5वां बजट, 8 साल बाद इनकम टैक्स छूट बढ़ने की उम्मीद

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार सुबह 11 बजे अपना 5वां और देश का 75वां बजट (Budget) पेश करेंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और कैबिनेट ने बजट को औपचारिक मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने के लिए संसद भवन पहुंच चुकी हैं।

वैसे भी निर्मला सीतारमण पिछले 4 बजट में कुछ न कुछ नया करती आई हैं। चाहे वो ब्रीफकेस से बही-खाता हो, पेपर लेस बजट हो या फिर सबसे लंबा बजट (Budget) भाषण। इस बार का पता नहीं। कुछ खास हो सकता है।

अब उम्मीदों वाली बात…

  1. इनकम टैक्स: 8 साल हुए, तब से कुछ नहीं बदला। तो इस बार टैक्स में छूट का दायरा बढ़ सकता है। बात आखिर 8 करोड़ से ज्यादा टैक्स पेयर्स की है। 2014 में छूट की सीमा ढाई लाख की गई थी। इसे 5 लाख किया जा सकता है। छूट बढ़ी तो लोअर इनकम क्लास को राहत मिलेगी। बाजार में भी चंद पैसे आएंगे। इकोनॉमी को सपोर्ट मिल सकता है।
  1. महंगाई: गैस सिलेंडर 1100 रुपए का हो चुका है। कुछ जाने-माने लोग कह रहे हैं कि इनकी कीमतें कम करने का इंतजाम हो सकता है। उज्ज्वला योजना 9.58 करोड़ लोगों के पास है। इन्हें एक सिलेंडर पर 200 रुपए की सब्सिडी पिछले साल मई से दी जा रही है। इसे एक साल और बढ़ाया जा सकता है।
  2. रोजगार और एजुकेशन लोन: बेरोजगारी पर कुछ बड़ा कहा जा सकता है। छोटे और मझोले उद्योगों के लिए ऐलान किए जा सकते हैं। मनरेगा को मिलने वाला पैसा भी इस साल बढ़ाए जाने की उम्मीद है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट बढ़ाने से भी रोजगार पैदा होंगे। आत्म निर्भर भारत योजना (ABRY) के तहत 50.85 लाख नौकरियां पिछले साल दी जानी थी। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट से 28% ज्यादा यानी 70 लाख नौकरियां दी गईं। इस पर फोकस बढ़ा तो इस साल नतीजे बेहतर हो सकते हैं। एजुकेशन लोन के सस्ते होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
  1. स्मार्ट फोन: मोबाइल फोन बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम्स पर इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी घटी तो अप्रैल के बाद मोबाइल खरीदना सस्ता हो सकता है। मार्केट की भी यही डिमांड है। मार्केट तो यह भी मांग कर रहा है कि मोबाइल पर GST 18% से घटाकर 12% कर दी जाए, क्योंकि जब इसे 18% किया गया था तो 10 हजार वाले मोबाइल की कीमत 11 हजार 800 तक पहुंच गई थी। सरकार भी डिमांड मान सकती है। पिछले साल ईयरफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी तो ये प्रोडक्ट्स महंगे हो गए। इस पर रियायत के आसार कम हैं, क्योंकि सरकार चाहती है कि ऐसे प्रोजेक्ट की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग मजबूत हो।
  1. हेल्थ सेक्टर: एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड के बाद बीमा, वैक्सीन, टेक्नोलॉजी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को ज्यादा मजबूत करना ही होगा। ऐसे में सरकार हेल्थ बजट में 20-30% की बढ़ोतरी कर सकती है। पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय को 86 हजार 200 करोड़ दिए गए थे। इस बार हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए इसे किफायती बनाया जा सकता है। इसके लिए इंश्योरेंस पर लगने वाली GST को 18% से घटाकर 5% किया जा सकता है।
  1. कृषि: इस बार एग्रीकल्चर सेक्टर को 2 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं। पिछली बार 1.32 लाख करोड़ का बजट था। नेचुरल फार्मिंग के लिए किसानों को इंसेंटिव के साथ ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए संगठन बनाने का ऐलान हो सकता है। पीएम किसान योजना की सम्मान निधि में भी बढ़ोतरी का ऐलान हो सकता है।
  2. डिफेंस: सरकार की प्राथमिकता मेक इन इंडिया हथियार और टेक्नोलॉजी है। एक्सपर्ट का कहना है कि रक्षा बजट बढ़ना तय है, क्योंकि सीमा पर चीन से तनाव जारी है। इस साल बजट में 10% बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले साल 5.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे।
  3. रेलवे: कोरोना काल के दौरान सीनियर सिटीजन को रेल किराये में छूट बंद हो गई थी। इस बार भी ये छूट नहीं दी जाएगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही साफ कर चुके हैं कि इससे बोझ बढ़ेगा। रेल बजट बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि दिल्ली-मेरठ रैपिड ट्रेन, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, पूर्वोत्तर को बाकी राज्यों से जोड़ने वाला बइरबी-साईरंग प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा करने का टारगेट है। अगले 2 साल में 400 वंदेभारत ट्रेनें चलाई जानी हैं, जो राजधानी और शताब्दी की जगह लेंगी। इनके लिए 1800 करोड़ रुपए दिए जा सकते हैं।
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