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पहले श्मशान की जमीन पर बनाया पार्क फिर बारात घर…, बर्बाद हुआ 5 करोड़ सरकारीफंड

cremation ground

cremation ground

बस्ती। जिले में सरकारी फंड के दुरुपयोग का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। वहां के लोगों को अब समझ नहीं आ रहा कि सरकार ने 5 करोड़ रुपये खर्च कर आखिर बनाया क्या है। दरअसल पहले सरकारी योजना के तहत श्मशान घाट (cremation ground) बनाया गया लेकिन जब उसका उपयोग नहीं हुआ तो अधिकारियों ने उसे पार्क (Park)  तब्दील कर दिया।

पार्क का भी जब लोगों ने प्रयोग नहीं किया तो उसे बारात घर में बदल दिया गया लेकिन आज तक आम जनता उसका भी इस्तेमाल नहीं कर पाई।

कुआनो नदी के अमहट घाट पर नगर पालिका की ओर से 4.65 करोड़ रुपये से अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया गया है, लेकिन सात साल बाद भी उसका उपयोग नहीं हो सका।

तत्कालीन डीएम आशुतोष निरंजन ने करीब दो वर्ष पहले इस स्थल को बारात घर के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन वित्तीय और तकनीकी कारणों से इसका स्वरूप नहीं बदला जा सका। नतीजन अब तक ना इसमें अंतिम संस्कार हो सका और न शहनाई बज सकी और ना ही पार्क के रूप में लोग इस जगह पर कभी गए।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2012-13 में नगर पालिका ने अमहट घाट पर अंत्येष्टि स्थल के निर्माण के 4.65 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। इस पर राज्य सरकार ने सहमति दे दी। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो गया।

साल 2015-16 में निर्माण पूरा हो गया, लेकिन आयुक्त कार्यालय के पास स्थित अंत्येष्टि स्थल के संचालन की प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। इसी बीच नगर पालिका का चुनाव आ गया। नए अध्यक्ष ने शुरू में इस पर ध्यान नहीं दिया। बाद में इस पर मंथन शुरू किया तो तमाम तकनीकी पहलुओं के चलते रस्साकसी होने लगी।

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शासन ने इसकी जांच भी कराई और मामला सदन तक गूंजा। सब कुछ ठीक होने के बाद तत्कालीन डीएम आशुतोष निरंजन ने अमहट घाट पर अंत्येष्टि स्थल को खारिज करते हुए नगर पालिका को इसका स्वरूप बदलकर बारात घर बनाने के निर्देश दिए।

दो साल से वित्तीय और अन्य कारणों से इसका स्वरूप बदला नहीं जा सका है। कुआनो नदी के अमहट घाट पर स्थापित अंत्येष्टि स्थल के स्वरूप को बदलने पर मंथन चल रहा है। इसके लिए वित्तीय व्यवस्था की जा रही है।  तकनीकी पक्ष को ठीक कर प्रशासन के निर्देश के अनुसार इसका संचालन बारात घर के रूप में किया जाएगा।

बस्ती शहर का यह एक पवित्र स्थल है जहां पर कुआनो नदी की पूजा होती है। इतना ही नहीं यहां पर लोग स्नान भी करते हैं। ऐसे में यहां श्मशान घाट बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है क्योंकि दाह संस्कार करने के लिए यहां पर अलग से घाट बना हुआ है।

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