नई दिल्ली। भारतीयों के बीच सावधि जमा (एफडी) एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। खासकर उन निवेशकों की इनमें विशेष दिलचस्पी रही है जो अपनी पूंजी के साथ बहुत जोखिम नहीं ले सकते हैं। यही वजह है कि बहुत सारे लोग एफडी की परिपक्वता अवधि के बाद ऑटो रिन्यूअल का विकल्प चुनते हैं। हालांकि, बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि यह घाटे का सौदा है। इस विकल्प को चुनकर निवेशक सबसे अच्छे ब्याज विकल्प को चुनने से वंचति रह सकते हैं। खासकर तब, जब एफडी पर बैंक लगातार ब्याज दर में कटौती कर रहे हैं।
ऑटो रिन्यूअल नीति एक बैंक से दूसरे बैंक में भिन्न होती है। कुछ मूल एफडी की समान अवधि के लिए ऑटो रिन्यूअल कर सकते हैं, जबकि कुछ में केवल एक विशिष्ट अवधि के लिए ऑटो रिन्यूअल करते हैं। अगर, आप एफडी को मैन्युअल रूप से ऑटो रिन्यूअल कर रहे हैं, तो आपको उच्चतम ब्याज प्राप्त करने के लिए इसे 15 महीनों के लिए निवेश करना होगा।
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ऑटो रिन्यूअल से यह फायदा मिलता है कि आपको बैंक में फिर से एफडी कराने के लिए बैंक शाखा जाने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, नुकसान यह है कि आप सबसे बेहतर ब्याज दर पाने से चूक जाते हैं जिससे परिपक्वता पर मिलने वाली कुल रकम में आपको नुकसान होता है। वैसे, आज के समय में अधिकांश बैंक ऑनलाइन एफडी कराने की सुविधा दे रहे हैं। यानी एफडी की समस पूरा होने पर आपके खाते में रकम आ जाता है। इसके बाद आप अपनी जरूरत के हिसाब से उसे निवेश कर सकते हैं।
अगर आपने बैंक एफडी कराते वक्त ऑटो रिन्यूअल का विकल्प चुना है तो इसे रद्द कराने के लिए आपको बैंक को सूचना देनी होगी। एफडी की परिपक्वता अवधि पूरा होने से पहले आपको बैंक को यह बतानी होगी कि ऑटो रिन्यूअल को रद्द कर दे। ऐसा नहीं करने पर अगर एफडी ऑटो रिन्यू हो जाता है तो उसके बाद उसे तोड़ने पर आपको पेनल्टी देना होगा।