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दुर्गा अष्टमी पर मां को जरूर अर्पित करें ये चीजें, मिलेगा मनचाहा वरदान

Durga Ashtami

Durga Ashtami

साल में 4 बार नवरात्र आते हैं। आश्विन नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। फिलहाल शारदीय नवरात्र चल रहे हैं और 23 अक्टूबर तक चलेंगे। नवरात्र के 9 दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि (Durga Ashtami) का सबसे अधिक महत्व है। इन दो दिनों के दौरान, नवरात्र उत्सव पूरे जोरों पर होता है।

कन्या पूजन के साथ-साथ पंडालों में बड़े स्तर पर दुर्गा पूजा की जाती है। इस वर्ष अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर और नवमी तिथि 23 अक्टूबर को है। दोनों तिथियों पर मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है।

पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।

अष्टमी-नवमी (Durga Ashtami) पर करें इन नियमों का पालन

  • अष्टमी और नवमी (Durga Ashtami) पर की जाने वाली विशेष दुर्गा पूजा में कुछ सामग्रियों का उपयोग करना बहुत जरूरी होता है, तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है। इन चीजों के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी है।
  • नवरात्रि के कलश स्थापना के दिन बोए गए जौ का उपयोग अष्टमी और नवमी की दुर्गा पूजा में भी करना चाहिए। इस जौ को मां दुर्गा को अर्पित करें।
  • दुर्गा पूजा में पंच पल्लव महत्वपूर्ण होते है। ये पांच पल्लव हैं- आम, पीपल, गूलर, अशोक और बरगद के पत्ते। कलश को स्थापित करने के लिए पंच पल्लव का भी उपयोग किया जाता है। अष्टमी-नवमी की पूजा में पंच पल्लव को शामिल करना भी शुभ माना जाता है।
  • नवरात्र का समय देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का सुनहरा अवसर होता है। यदि अष्टमी की पूजा के दौरान मां दुर्गा की मूर्ति या मूर्ति के पास दुर्गा बीसा या श्रीयंत्र रखा जाए तो व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • नवरात्रि की अष्टमी-नवमी की पूजा के दौरान मां दुर्गा को ध्वज या पताका जरूर चढ़ाएं। इससे देवी मां अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
  • नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा श्रृंगार सामग्री और लाल चुनरी के बिना अधूरी होती है, इसलिए पूजा में दोनों चीजें जरूर चढ़ानी चाहिए।
  • अष्टमी-नवमी से पहले घर के मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों का वंदनवार जरूर लगाएं। इससे घर में समृद्धि बनी रहती है। ऐसे घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
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