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यूपी खाद्य विभाग खुद संकट में, 32 जिलों में DSO के पद हैं खाली

यूपी में 32 जिलों में DSO के पद हैं खाली

यूपी में 32 जिलों में DSO के पद हैं खाली

लखनऊ। यूपी में कोरोना काल बड़ी विकट स्थिति है। एक तरफ कोरोना की मार चल रही है तो दूसरी तरफ बाढ़ की है। जरूरतमंदों को राशन मिल जाए, सरकार की यही सबसे बड़ी प्राथमिकता है, लेकिन, इसे पूरा करने में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं।

खाद्य विभाग में अफसरों का जबरदस्त टोटा है। स्थिति ये है कि उत्तर प्रदेश के लगभग आधे जिले ऐसे हैं, जहां जिला पूर्ति अधिकारी यानी डीएसओ के पद खाली चल रहे हैं। इनमें ज्यादातर प्रदेश के महानगर शामिल हैं।

प्रदेश के 75 में से  32 जिले एआरओ के सहारे

खाद्य विभाग की जितनी बड़ी जिम्मेदारी इन दिनों है, शायद ही इससे पहले कभी रही होगी। प्रवासी मजदूर बड़े पैमाने पर गांव लौटे हैं। इसके अलावा बाढ़ के कारण बहुतों की रोटी छिन गई है। ऐसे सभी लोगों को राशन मुहैया कराना जरूरी है। हो भी रहा है, लेकिन भारी चुनौतियों के साथ है।

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प्रदेश के 75 में से 32 जिले ऐसे हैं, जहां डीएसओ के पद पर प्रभारी तैनात हैं। ऐसे सभी 32 जिलों में जूनियर अफसर एआरओ (एरिया राशनिंग अफसर) के सहारे काम चलाया जा रहा है। ऐसा पिछले लम्बे समय से चलता आ रहा है। स्थिति ये है कि डीएसओ के पद पर तैनात होने को योग्यता रखने वाले अफसर ही खाद्य विभाग में नहीं है। वहीं साल भर से प्रमोशन लटका है।

ग्रेड-1 के 29 पदों में से 25 पद खाली हैं

ये हाल प्रदेश के लगभग सभी बड़े शहरों का है। बड़े शहरों में ग्रेड-1 के डीएसओ तैनात किये जाते हैं। ग्रेड-1 के 29 पदों में से 25 पद खाली हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रेड-2 से ग्रेड-1 में प्रमोशन विभाग करा ही नहीं पाया। ग्रेड-2 के प्रदेश में 46 पद हैं। इनमें से 23 पद लोक सेवा आयोग से डायरेक्ट चयनित होकर भरे जाते हैं। बाकी के 23 एआरओ से प्रमोट होकर डीएसओ बनाये जाते हैं। इन 46 में से जिसकी सर्विस 5 साल की हो जाती है, वे ग्रेड-1 में प्रमोट होते हैं। प्रमोट होकर यही अफसर बड़े जिलों में जिला पूर्ति अधिकारी बनते हैं। ऐसे ही अफसरों की कमी से विभाग जूझ रहा है।

हालांकि उत्तर प्रदेश शासन ने जरूरत के हिसाब से नियमों को शिथिल करने के आदेश दिये थे लेकिन, डीपीसी अभी तक नहीं हो पाई है।

जूनियर अफसर को काम करने में क्या आती है दिक्कतें?

खाद्य विभाग में इंस्पेक्टर और एआरओ एसोसिएशन के महामंत्री त्रिलोकी नाथ चौरसिया ने कहा कि डीएसओ की बात अलग होती है। जिले में एआरओ भले ही डीएसओ का काम कर रहे हैं लेकिन, जिले के दूसरे अधिकारी जूनियर होने के नाते उनकी बातों को नजरअंदाज करते हैं। कामकाज पर इसका बुरा असर पड़ता है।

क्या कहना है विभाग का?

विभाग के मुखिया खाद्य आयुक्त मनीष चौहान कहते हैं कि अधिकारियों की विभाग में कमी नहीं है। बस प्रमोशन का टाइम पूरा होते ही वे प्रमोट हो जाएंगे। जैसे ही डीपीसी हो जायेगी, हमें कुछ और अफसर मिल जाएंगे।

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