लखनऊ। प्रदेश सरकार द्वारा फल और सब्जियों के प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए किये जा रहे प्रयास अब किसानों और छोटे कारोबारियों को भी भाने लगे हैं। राज्य के हर बड़े गांव में अब फल और सब्जियों के प्रसंस्करण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। छोटे-छोटे कारोबारी ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) यूनिट लगाने में रुचि दिखा रहे हैं।
इन छोटे कारोबारियों को सरकार 10 लाख रुपये तक लागत वाली फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 35 प्रतिशत की दर से ऋण में सब्सिडी देकर उनका उत्साह बढ़ा रही है। हर बड़े गांव में फूड प्रोसेसिंग इकाइयां लगेंगी। सरकार के इस प्रयास का नतीजा है कि अब गावों में छोटे उद्योगों को आधुनिक बनाने और फूड प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने को लेकर तमाम प्रस्ताव उद्यान विभाग को प्राप्त हुए हुए। इन प्रस्तावों को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी।
सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 9301 सूक्ष्म खाद्य फूड प्रोसेसिंग उद्यमों को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया है। इन उद्यमों में करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। और हजारों किसानों को उनके उत्पाद की वाजिब कीमत गांव में ही मिलेगी। साथ ही उन्हें लाभ भी होगा। उत्तर प्रदेश देश में फल और सब्जियों का सबसे बड़ा उत्पादक है। फिर भी राज्य में उत्पादित फल और सब्जियों की 10 फीसदी से कम की ही प्रोसेसिंग हो पाती थी। बड़ी मात्रा में जल्द खराब होने वाले खाद्य पदार्थ हर साल बर्बाद हो जाते थे, जिससे किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पाता था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लिया। यही वजह है कि सूबे की सत्ता पर काबिज होने के तत्काल बाद उन्होंने किसानों की दिक्कतों को दूर करने के लिए कई फैसले लिये। फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण नीति 2017 तैयार करायी। इसमें फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने वाले उद्यमी को कई तरह की रियायतें देने का ऐलान किया गया। इससे प्रभावित होकर वर्ष 2018 से अब तक 4109.74 करोड़ रुपये की लागत वाले 803 आवेदन उद्यमियों से प्राप्त हुए। इन आवेदनों में फल-सब्जी प्रसंस्करण के 81, उपभोक्ता उत्पाद के 232, खाद्यान्न मिलिंग के 397, हर्बल प्रोसेसिंग के 03, दुग्ध प्रसंस्करण के 35, तिलहन प्रसंस्करण के 27, दलहन प्रसंस्करण के 15, मांस प्रसंस्करण के 08, रेफर वैन के 10, मेगा फूड पार्क और एग्रो प्रोसेसिंग का एक प्रस्ताव हैं।
इसके अलावा बड़े उद्योगपतियों ने भी बीते चार सालों में 9105.58 करोड़ रुपए की लागत वाली 139 फूड प्रासेसिंग यूनिट (फैक्ट्री) राज्य में स्थापित करने के प्रस्ताव सरकार को सौंपे, जिनमें से 101 से फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हो गया है। इनमें 20,176 लोगों को रोजगार मिला है। 38 फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों के निर्माण का कार्य चल रहा है। इन फैक्ट्रियों में 21,111 लोगों को रोजगार मिलेगा।
अधिकारियों के अनुसार, एसएलएमजी बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड ने लखनऊ में 300 करोड़ रुपये, बरेली में बीएल एग्रो 160 करोड़ रुपए और खट्टर इडीबल्स प्राइवेट लिमिटेड रामपुर में डेढ़ सौ करोड़ रुपए का निवेश कर उत्पादन शुरू कर दिया है। 55 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित बाराबंकी में आॅर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संयंत्र में भी उत्पादन हो रहा है। इसी प्रकार पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड गौतमबुद्धनगर में 2,118 करोड़ रुपये, पेप्सिको मथुरा में 514 करोड़ रुपए, हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड गौतमबुद्धनगर में 490 करोड़ रुपये का निवेश कर रही हैं। प्रदेश सरकार ने अगले पांच वर्षों में 37,826 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के जरिये लोगों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया है। इस वित्तीय वर्ष में इस वित्तीय वर्ष में 9301 सूक्ष्म खाद्य फूड प्रोसेसिंग उद्यमों को बढ़ावा दिया जायेगा।