Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

मार्गशीष माह में सुख-समृद्धि के लिए इस माह अवश्य करें ये पांच काम

lord krishna

lord krishna

धर्म डेस्क। इस वर्ष का 9वां माह मार्गशीर्ष 01 दिसंबर से आरंभ हो गया है। इस माह की पूर्णिमा तिथि पर मृगशिरा नक्षत्र होता है इसलिए इस माह को मार्गशीर्ष कहा जाता है। इस माह के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मार्गशीर्ष मास उनका ही स्वरूप है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास में नदी स्नान करने मात्र से ही मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

इस माह के बारे में उल्लेख मिलता है कि एक बार  भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों से कहा था कि मार्गशीर्ष मास में यमुना में स्नान करने से व्यक्ति उनको प्राप्त कर सकता है। कहा जाता है कि तभी से मार्गशीर्ष मास में नदी स्नान की परंपरा का आरंभ हुआ। जानते हैं माना जाता है कि इस माह में भगवान कृष्ण के पूजन और गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। जानते हैं कौन से पांच कार्य इस माह में अवश्य करने चाहिए।

मार्गशीष माह में प्रतिदिन नियमित रुप से सुबह को स्नान करने के पश्चात विष्णु सहस्रनाम, गजेन्द्रमोक्ष तथा भगवत गीता का पाठ करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इससे मनुष्य की हर मनोकामना की पूर्ति हो सकती है साथ ही सारे पापकर्मों का नाश होता है।

मार्गशीर्ष मास में के बारे में स्वयं कृष्ण जी ने यमुना में स्नान का महत्व बताया है इसलिए अगर संभव हो तो इस माह में एक बार यमुना में स्नान करें तथा श्रीकृष्ण की पूजा करें। यह अत्यंत शुभफलदायी माना जाता है।

भगवान श्री कृष्ण विष्णु जी का ही स्वरुप हैं इसलिए इस मास में भगवान विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए एवं जल के साथ या भोग में उनको तुलसी पत्र अर्पित करनी चाहिए साथ ही स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।

शंख भगवान विष्णु के अत्यंत प्रिय हैं इसलिए मार्गशीर्ष मास में शंख की पूजा करें और  उसमें गंगाजल भरकर भगवान श्रीकृष्ण के चारों ओर घुमाएं। पूजा संपन्न हो जाने के बाद उस जल से अपने पूरे घर में छिड़काव करें। इससे सकारात्मकता का संचार होता है जिससे परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।

मार्गशीष के माह में भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ इन मंत्रो का जाप करना चाहिए साथ ही अपने गुरु को प्रणाम करें। इससे आपके कार्य में आने वाली सारी अड़चने दूर होती है एवं कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

ओम दामोदराय नमः

ओम नमो भगवते वासुदेवाय

Exit mobile version