Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

पहली बार गांव पहुंचे राष्ट्रपति जन्मभूमि पर हुए नतमस्तक, मिट्टी का किया स्पर्श

राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे राम नाथ कोविंद ने हेलिकॉप्टर से हेलीपैड पर उतरकर एक दुर्लभ भावपूर्ण भाव में अपनी जन्मभूमि पर नतमस्तक होकर मिट्टी का स्पर्श किया। उन्होंने कहा कि सचमुच आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय परौंख गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है। मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया।

अपनों से मिलकर प्यार लुटाया

राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार रविवार को अपनों के बीच पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांव में अपनों से मिलकर प्यार लुटाया। उन्होंने कहा कि मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन व राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया। उन्होंने देश के स्वतन्त्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए नमन किया। भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है।

महामहिम ने पांच साल बाद किया अपनी माटी को नमन, कुल देवी का लिया आशीर्वाद

बड़ों का सम्मान करना ग्रामीण संस्कृति

उन्होंने कहा कि गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हों। आज मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है। राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद भी अपने ससुराल में बेहद खुश दिखाईं दीं। इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद देवेन्द्र सिंह भोले सहित विधायकगण और भाजपा के पदाधिकारी मौजूद रहें।

SC में केंद्र ने कहा- मुद्दा पैसों का नहीं है, लेकिन 4 लाख का मुआवजा नहीं दे सकते

स्वर्ग से बढ़कर जन्मभूमि का होता है गौरव

राष्ट्रपति ने कहा कि मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही। जन्मभूमि से जुड़े ऐसे ही आनंद और गौरव को व्यक्त करने के लिए संस्कृत काव्य में कहा गया है जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है। वहीं राष्ट्रपति ने गांव में अपनों से मिलकर प्यार लुटाया।

पुराने दोस्त सतीश मिश्रा से भी मिलने जायेंगे

भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र के कस्बा पुखरायां निवासी सतीश मिश्रा और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लगभग 30 सालों से घनिष्ठ मित्र हैं। सतीश मिश्रा की इन दिनों तबीयत खराब होने की जानकारी राष्ट्रपति को हुई तो उन्होंने फोन कर उनका हालचाल लिया। अब राष्ट्रपति अपने परिवार के साथ सतीश मिश्रा के घर उनसे मुलाकात करने जायेंगे। सतीश मिश्रा और रामनाथ कोविंद बीएनएसडी कॉलेज में पढ़ते थे जहां उनकी पहली बार मुलाकात हुई थी। इसके बाद डीएवी कॉलेज में भी साथ रहा। इसके बाद राष्ट्रपति एलएलबी करने लगे और वह पुखरायां वापस आ गए थे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जब 1991 में कानपुर की घाटमपुर से लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने आए थे तो इस दौरान फिर से पुरानी यादें ताजा हो गईं और मुलाकात होने लगी। सतीश मिश्रा को राष्ट्रपति अपने हर कार्यक्रम में जरूर बुलाते हैं। 8 अगस्त 2015 में रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल बने तो उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में विशेष अतिथि के रूप में बुलाया था। 20 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में भी वह दिल्ली गए थे।

Exit mobile version